न्याय प्रणाली से जुड़े तीन विधेयकों पर संसदीय समिति की अगली बैठकों में विषय विशेषज्ञ विचार रखेंगे |

न्याय प्रणाली से जुड़े तीन विधेयकों पर संसदीय समिति की अगली बैठकों में विषय विशेषज्ञ विचार रखेंगे

न्याय प्रणाली से जुड़े तीन विधेयकों पर संसदीय समिति की अगली बैठकों में विषय विशेषज्ञ विचार रखेंगे

:   Modified Date:  August 31, 2023 / 05:28 PM IST, Published Date : August 31, 2023/5:28 pm IST

नयी दिल्ली, 31 अगस्त (भाषा) संसद की एक समिति ने भारतीय न्याय प्रणाली पर दूरगामी प्रभाव डालने वाले तीन विधेयकों…‘न्याय संहिता 2023’, ‘भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023’ और ‘भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023’ पर विचार के लिए 11, 12 और 13 सितंबर को बैठक बुलाई है जिसमें कई विषय विशेषज्ञ अपने विचार प्रस्तुत करेंगे।

राज्यसभा सचिवालय की गृह कार्य संबंधी समिति की सूचना में कहा गया है, ‘‘ सदस्यों के सूचित किया जाता है कि विभाग से संबंधित गृह कार्य संबंधी संसद की स्थायी समिति की अगली बैठकों में तीन विधेयकों ‘न्याय संहिता 2023’, ‘भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023’ और ‘भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023’ के विभिन्न पहलुओं के संबंध में विषय विशेषज्ञ अपने विचार रखेंगे।’’

इसमें कहा गया है कि समिति की बैठकें 11, 12 और 13 सितंबर को बुलाई गई है।

एजेंडे के अनुसार, 11 सितंबर की गृह संबंधी स्थायी समिति की बैठक में सीबीआई के पूर्व निदेशक प्रवीण सिन्हा, विधि कार्य विभाग की संयुक्त सचिव डा. पद्मिनी सिंह और बीपीआरएंड डी की अधिकारी अनुपमा निलेकर चंद्रा अपने विचार प्रस्तुत करेंगी।

इसी प्रकार से 12 सितंबर को बैठक में पूर्व पुलिस महानिदेशक डा. विक्रम सिंह, गुजरात के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के निदेशक एवं पूर्व पुलिस महानिदेशक केशव कुमार तथा गुजरात के गांधीनगर स्थित राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय के प्रोफेसर नवीन चौधरी विचार प्रस्तुत करेंगे।

समिति की 13 सितंबर को बैठक में भी कुछ विषय विशेषज्ञ विचार रखेंगे। इस समिति की अध्यक्षता भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राज्यसभा सदस्य बृजलाल कर रहे हैं।

इस विषय पर स्थायी समिति की पिछली बैठकें 24 अगस्त, 25 अगस्त और 26 अगस्त को हुई थी।

पिछली बैठकों में प्रस्तावित कानून के विभिन्न आयामों को लेकर गृह सचिव अजय भल्ला ने विस्तृत प्रस्तुति दी थी।

वहीं, सूत्रों ने बताया था कि समिति में विपक्षी दलों के सदस्यों ने विचार विमर्श के दौरान कई मुद्दे उठाये। इसमें द्रमुक सांसद दयानिधि मारन ने बैठक के दौरान विधेयकों के हिन्दी नामों पर अपनी असहमति जतायी और इसे संविधान के अनुच्छेद 348 का उल्लंघन बताया तथा सुझाव दिया कि समिति को विभिन्न राज्यों के बार काउंसिल के सदस्यों, न्यायाधीशों आदि के साथ विचार विमर्श करना चाहिए।

समिति में भारतीय जनता पार्टी के कई सदस्यों ने विधेयकों के प्रावधानों की सराहना की थी।

सूत्रों के अनुसार, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओब्रायन ने कहा कि जब वर्तमान कानून में संशोधन किया जा सकता था तब ये विधेयक क्यों लाए गए।

वहीं कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने कहा कि समिति को जल्दबाजी में रिपोर्ट तैयार नहीं करनी चाहिए।

प्रस्तावित नये कानूनों में ‘मॉब लिचिंग (भीड़ द्वारा पीटकर हत्या)’ के लिए सात साल या आजीवन कारावास या मृत्युदंड का प्रस्ताव किया गया है और साथ ही राजद्रोह कानून को समाप्त करने की बात कही गई है। इसमें भगोड़े आरोपियों की अनुपस्थिति में उन पर मुकदमा चलाने का प्रस्ताव भी किया गया है।

भाषा दीपक

दीपक पवनेश

पवनेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)