नयी दिल्ली, सात मई (भाषा) दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को मंगलवार को उच्चतम न्यायालय से कोई राहत नहीं मिली। दो न्यायाधीशों की पीठ ने लोकसभा चुनाव में प्रचार करने के लिए उन्हें अंतरिम जमानत देने पर कोई आदेश नहीं सुनाया।
केजरीवाल पर कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े एक मामले में धन शोधन का आरोप लगाया गया है।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने सुनवाई के दौरान अंतरिम जमानत देने पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। पीठ ने यह भी कहा था कि वह अपराह्न दो बजे फैसला सुनाएगी, लेकिन फैसला नहीं सुनाया गया।
पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एस वी राजू की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। सिंघवी केजरीवाल की ओर से और राजू प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से पेश हुए थे।
ईडी की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने लोकसभा चुनावों के कारण केजरीवाल के प्रति किसी भी तरह की नरमी दिखाने का कड़ा विरोध किया और कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक को अंतरिम जमानत देना नेताओं के लिए एक अलग श्रेणी बनाने के समान होगा।
पीठ ने केजरीवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ याचिका पर सुनवाई को दो हिस्सों में बांटा है। केजरीवाल की मुख्य याचिका में ईडी द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती दी गई है और इसे अवैध घोषित करने का अनुरोध किया गया है, जबकि दूसरा पहलू मौजूदा लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए अंतरिम जमानत देने से संबंधित है। अदालत ने अंतरिम जमानत देने के मुद्दे पर फैसला सुरक्षित रख लिया है।
भाषा आशीष दिलीप
दिलीप
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