उच्चतम न्यायालय ने विधेयकों को रोककर रखने पर तमिलनाडु के राज्यपाल से नाखुशी जताई

उच्चतम न्यायालय ने विधेयकों को रोककर रखने पर तमिलनाडु के राज्यपाल से नाखुशी जताई

उच्चतम न्यायालय ने विधेयकों को रोककर रखने पर तमिलनाडु के राज्यपाल से नाखुशी जताई
Modified Date: April 8, 2025 / 12:19 pm IST
Published Date: April 8, 2025 12:19 pm IST

नयी दिल्ली, आठ अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि से नाखुशी जताते हुए कहा कि उनके द्वारा 10 विधेयकों को राष्ट्रपति के विचारार्थ सुरक्षित रखना संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन है।

न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल के पास कोई विवेकाधिकार नहीं होता और उन्हें मंत्रिपरिषद की सहायता एवं सलाह पर अनिवार्य रूप से कार्रवाई करनी होती है।

संविधान का अनुच्छेद 200 विधेयकों को स्वीकृति से संबंधित है।

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पीठ ने कहा कि राज्यपाल सहमति को रोक नहीं सकते और ‘पूर्ण वीटो’ या ‘आंशिक वीटो’ (पॉकेट वीटो) की अवधारणा नहीं अपना सकते।

उसने कहा कि राज्यपाल एक ही रास्ता अपनाने के लिए बाध्य होते हैं- विधेयकों को स्वीकृति देना, स्वीकृति रोकना और राष्ट्रपति के विचार के लिए सुरक्षित रखना।

पीठ ने कहा कि वह विधेयक को दूसरी बार राज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत किए जाने के बाद उसे राष्ट्रपति के विचारार्थ सुरक्षित रखे जाने के पक्ष में नहीं है।

उसने कहा कि राज्यपाल को दूसरे दौर में उनके समक्ष प्रस्तुत किए गए विधेयकों को मंजूरी देनी चाहिए, अपवाद केवल तब रहेगा जब दूसरे चरण में भेजा गया विधेयक पहले से अलग है।

भाषा वैभव मनीषा

मनीषा


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