न्यायालय ने मप्र के दोषी ठहराये गये सरपंच को आत्मसमर्पण करने से आठ सप्ताह की छूट दी

न्यायालय ने मप्र के दोषी ठहराये गये सरपंच को आत्मसमर्पण करने से आठ सप्ताह की छूट दी

न्यायालय ने मप्र के दोषी ठहराये गये सरपंच को आत्मसमर्पण करने से आठ सप्ताह की छूट दी
Modified Date: December 29, 2025 / 08:08 pm IST
Published Date: December 29, 2025 8:08 pm IST

नयी दिल्ली, 29 दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने आपराधिक मामले में दोषी ठहराए गए मध्यप्रदेश के मुरैना जिले की एक ग्राम पंचायत के सरपंच को सोमवार को आत्मसमर्पण करने से आठ सप्ताह की छूट प्रदान कर दी।

प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत, न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की अवकाशकालीन पीठ ने मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय से आत्मसमर्पण से छूट मांगने वाले उसके आवेदन पर विचार करने को कहा।

पीठ ने कहा, ‘‘उस आवेदन पर विचार करते समय, उच्च न्यायालय सहानुभूतिपूर्वक इस तथ्य को ध्यान में रख सकता है कि यदि याचिकाकर्ता को आत्मसमर्पण करने के लिए कहा जाता है, तो इस बात की संभावना है कि उसे उस सार्वजनिक पद से निलंबित कर दिया जाएगा जिस पर उसे ग्रामीणों के बहुमत द्वारा चुना गया है।’’

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शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ सरपंच की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया।

मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय नियम, 2008 के प्रावधानों का हवाला देते हुए उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया था कि जब तक वह निचली अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण नहीं करता, सत्र न्यायालय द्वारा मामले में उसकी अपील खारिज किए जाने के खिलाफ उसकी आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई नहीं की जा सकती।

शीर्ष अदालत ने गौर किया कि याचिकाकर्ता को एक आपराधिक मामले में दोषी ठहराया गया था और उसे दो साल के कठोर कारावास की सुजा सुनाए जाने के साथ ही 500 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था।

इसने यह भी उल्लेख किया कि उसके साथ कुछ सह-आरोपियों को भी दोषी ठहराया गया था।

पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा दायर अपील को सत्र न्यायाधीश ने फरवरी 2023 में खारिज कर दिया था।

इसके बाद याचिकाकर्ता ने सत्र न्यायालय द्वारा उसकी अपील खारिज किए जाने के खिलाफ मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में एक आपराधिक पुनरीक्षण याचिका दायर की।

पीठ ने गौर किया कि पुनरीक्षण लंबित रहने के दौरान, ऐसा प्रतीत होता है कि याचिकाकर्ता ने आत्मसमर्पण से छूट मांगी थी और इस संबंध में उसके द्वारा एक औपचारिक आवेदन भी दायर किया गया था।

इसने कहा कि मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के अधिकार की वैधता को चुनौती देने का भी एक ‘‘कमजोर प्रयास’’ किया गया है।

शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘नियमों की संवैधानिकता के संबंध में, हम इस कार्यवाही में इस तरह की सहायक प्रार्थना पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं। याचिकाकर्ता, यदि चाहे तो, इस संबंध में कानून के अनुसार उपाय का लाभ उठा सकता है।’’

याचिका का निपटारा करते हुए पीठ ने कहा, ‘‘जहां तक ​​याचिकाकर्ता के आपराधिक पुनरीक्षण की सुनवाई के लिए पूर्व शर्त के रूप में उसके आत्मसमर्पण का सवाल है, हमें लगता है कि याचिकाकर्ता को आठ सप्ताह की अवधि के लिए आत्मसमर्पण से छूट देना न्यायोचित होगा। तदनुसार आदेश दिया जाता है।’’

भाषा

नेत्रपाल माधव

माधव


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