Supreme Court on Child Pornography : ‘चाइल्ड पोर्नोग्राफी डाउनलोड करना और देखना अपराध’, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, बताया किस अधिनियम के तहत दर्ज हो सकती है FIR

'चाइल्ड पोर्नोग्राफी डाउनलोड करना और देखना अपराध', सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, Supreme Court has declared child pornography a crime

Supreme Court on Child Pornography : ‘चाइल्ड पोर्नोग्राफी डाउनलोड करना और देखना अपराध’, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, बताया किस अधिनियम के तहत दर्ज हो सकती है FIR

Today News and LIVE Update 29 November | Photo Credit : File

Modified Date: September 23, 2024 / 12:02 pm IST
Published Date: September 23, 2024 11:25 am IST

नई दिल्लीः Supreme Court on Child Pornography चाइल्ड पोर्नोग्राफी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। देश की सबसे बड़ी अदालत ने चाइल्ड पोर्नोग्राफी को डाउनलोड करने या देखने को POCSO अधिनियम के तहत अपराध माना है। कोर्ट ने कहा है कि अदालतें चाइल्ड पोर्नोग्राफी शब्द का इस्तेमाल ना करें। कोर्ट ने सरकार को इसमें बदलाव करने के निर्देश भी दिए हैं। इस मामले को लेकर शीर्ष अदालत में 12 अगस्त को ही फैसला सुरक्षित रख लिया था।

दरअसल, मद्रास हाइकोर्ट के फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। मद्रास हाईकोर्ट ने कहा था कि अगर कोई चाइल्ड पोर्नोग्राफी डाउनलोड करता और देखता है, तो यह अपराध नहीं, जब तक कि नीयत इसे प्रसारित करने की न हो। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत ने अपने फैसले में गंभीर गलती की है। हम इसे खारिज करते हैं और केस को वापस सेशन कोर्ट भेजते हैं।

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चाइल्ड पोर्नोग्राफी शब्द का इस्तेमाल न करें HC- जस्टिस पारदीवाला

जस्टिस जेबी पारदीवाला ने कहा कि हमने दोषियों के मनों की स्थिति की धारणाओं पर सभी प्रासंगिक प्रावधानों को समझाने के लिए अपने तरीके से प्रयास किया है और दिशानिर्देश भी निर्धारित किए हैं। हमने केंद्र से यह भी अनुरोध किया है कि बाल अश्लीलता के स्थान पर बाल यौन शोषण संबंधी सामग्री लाने के लिए एक अध्यादेश जारी किया जाए। हमने सभी उच्च न्यायालयों से कहा है कि वे चाइल्ड पोर्नोग्राफी शब्द का इस्तेमाल न करें। पारदीवाला ने कहा कि धारा 15(1)- बाल पोर्नोग्राफी सामग्री को दंडित करती है। एक अपराध का गठन करने के लिए परिस्थितियों को ऐसी सामग्री को साझा करने या स्थानांतरित करने के इरादे का संकेत देना चाहिए। धारा 15(2)- पॉक्सो के तहत अपराध दिखाना होगा। यह दिखाने के लिए कुछ होना चाहिए कि (1) वास्तविक प्रसारण है या (2) धारा 15(3) पॉक्सो के तहत अपराध गठित करने के लिए प्रसारण करने की सुविधा है। वहां यह दिखाने की कोई आवश्यकता नहीं है कि कुछ अर्जित किया गया है। ये तीन उपखंड एक दूसरे से स्वतंत्र हैं।

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लेखक के बारे में

सवाल आपका है.. पत्रकारिता के माध्यम से जनसरोकारों और आप से जुड़े मुद्दों को सीधे सरकार के संज्ञान में लाना मेरा ध्येय है। विभिन्न मीडिया संस्थानों में 10 साल का अनुभव मुझे इस काम के लिए और प्रेरित करता है। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रानिक मीडिया और भाषा विज्ञान में ली हुई स्नातकोत्तर की दोनों डिग्रियां अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने के लिए गति देती है।