जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति पर तेलंगाना न्यायिक सेवा नियम में बदलाव से उच्चतम न्यायालय का इनकार

जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति पर तेलंगाना न्यायिक सेवा नियम में बदलाव से उच्चतम न्यायालय का इनकार

जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति पर तेलंगाना न्यायिक सेवा नियम में बदलाव से उच्चतम न्यायालय का इनकार
Modified Date: September 26, 2025 / 10:37 pm IST
Published Date: September 26, 2025 10:37 pm IST

नयी दिल्ली, 26 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को तेलंगाना न्यायिक सेवा नियम में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जिसके तहत जिला न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए पात्र होने के लिए राज्य की अदालतों में सात साल की वकालत का अनुभव अनिवार्य है।

इसके साथ ही न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने तेलंगाना उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ याचिकाओं का निपटारा कर दिया।

शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के इस तर्क पर गौर किया कि उसे परिणाम घोषित करने और जिला न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए 2023 की भर्ती परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले अपीलकर्ताओं/याचिकाकर्ताओं/हस्तक्षेपकर्ताओं को 2023 के नियम को बदले बिना एक असाधारण मामले के रूप में नियुक्त करने में कोई आपत्ति नहीं है।

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पीठ ने कहा, ‘‘हम उच्च न्यायालय द्वारा अपनाए गए रुख की सराहना करते हैं और तदनुसार, उच्च न्यायालय से अनुरोध करते हैं कि वह अपीलकर्ताओं/याचिकाकर्ताओं/हस्तक्षेपकर्ताओं के परिणाम घोषित करे और उनके विवरणों का सत्यापन करे।’’

उसने कहा, ‘‘ऐसे योग्य अपीलकर्ताओं/याचिकाकर्ताओं/हस्तक्षेपकर्ताओं को, जो उपयुक्त पाए जाते हैं, विशेष मामले के रूप में, यथाशीघ्र नियुक्ति पत्र प्रदान करके नियुक्त किया जा सकता है, लेकिन उच्च न्यायालय को इस आदेश की प्रति दिए जाने की तिथि से दो महीने के भीतर।’’

शीर्ष न्यायालय ने स्पष्ट किया कि उसका आदेश उसके समक्ष प्रस्तुत अपीलों और याचिकाओं के तथ्यों और परिस्थितियों तक ही सीमित है तथा इसे भविष्य के मामलों के लिए मिसाल नहीं माना जा सकता।

यह विवाद तेलंगाना के बाहर वकालत करने वाले वकीलों और सरकारी अभियोजकों द्वारा दायर याचिकाओं से उपजा है, जिन्होंने राज्य की अदालतों में वकालत करने की अनिवार्यता वाले पात्रता मानदंड को चुनौती दी थी।

याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि यह नियम ‘‘अधिवास आरक्षण’’ का एक रूप है और भेदभावपूर्ण है।

तेलंगाना उच्च न्यायालय ने इन दावों को खारिज कर दिया था और कहा था कि यह आवश्यकता एक वैध पेशेवर योग्यता है, जिसे यह सुनिश्चित करने के लिए तैयार किया गया है कि न्यायिक अधिकारी स्थानीय कानूनों, भाषा और अदालती प्रक्रियाओं से अच्छी तरह वाकिफ हों।

भाषा शफीक दिलीप

दिलीप


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