बंगाल में रामनवमी हिंसा की एनआईए जांच पर उच्चतम न्यायालय ने नहीं लगाई रोक
बंगाल में रामनवमी हिंसा की एनआईए जांच पर उच्चतम न्यायालय ने नहीं लगाई रोक
नयी दिल्ली, 19 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में रामनवमी समारोह के दौरान हिंसा की घटनाओं की जांच राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) को सौंपने के कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने से शुक्रवार को इनकार कर दिया।
प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका पर सुनवाई गर्मी की छुट्टी के बाद तक के लिए टाल दी।
पीठ ने एनआईए की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को बताया, “हमने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक नहीं लगाई है और गर्मियों की छुट्टी के बाद जुलाई के महीने में इस मामले पर सुनवाई करेंगे।”
उच्च न्यायालय के आदेश के बाद आतंकवाद रोधी जांच एजेंसी ने मामला दर्ज किया है।
सुनवाई के दौरान, पश्चिम बंगाल सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ताओं अभिषेक सिंघवी और गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में चंदन नगर की घटना से संबंधित केवल एक प्राथमिकी का उल्लेख किया है।
शंकरनारायणन ने कहा, “हमारे पास निर्देश हैं कि अदालत चंदन नगर प्राथमिकी की जांच एनआईए द्वारा करने की अनुमति दे सकती है, लेकिन बाकी पांच प्राथमिकी की जांच राज्य पुलिस को करने की अनुमति दी जाए।”
सिंघवी ने कहा कि एनआईए को हिंसा के सामान्य मामलों की जांच में तब तक नहीं लाया जा सकता जब तक कि यह देश की सुरक्षा या संप्रभुता को प्रभावित न करे।
उन्होंने कहा कि एनआईए के पास एक स्पष्ट दायरा है और किसी के घटना में बम का इस्तेमाल होने के बारे में कह भर देने से उसे जांच में नहीं लगाया जा सकता।
उन्होंने कहा, “या तो एनआईए द्वारा पुलिस अधिकारियों को बुलाए जाने पर रोक लगाई जाए या उच्च न्यायालय के आदेश पर तब तक रोक लगाई जाए जब तक कि यह अदालत राज्य सरकार की अपील पर अंतिम रूप से फैसला नहीं दे देती।”
पीठ ने सिंघवी और शंकरनारायणन से कहा, “यह मानते हुए कि उच्च न्यायालय ने एक प्राथमिकी का उल्लेख किया है, लेकिन ये सभी घटनाएं एक दूसरे से जुड़ी हैं। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया और उच्च न्यायालय ने अपना दिमाग लगाया कि इसे एनआईए को संदर्भित करने के लिये पर्याप्त सामग्री है।”
पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय के निर्देश के अनुसार जांच को स्थानांतरित कर दिया गया है और यह ऐसा मामला नहीं है जहां यह अदालत हर चीज को व्यर्थ कर दे।
मेहता ने कहा कि एनआईए ने मामला दर्ज कर लिया है और जब जांच एजेंसी ने कागजात सौंपने के लिए राज्य सरकार को पत्र लिखा तो उसे शीर्ष अदालत के फैसले का इंतजार करने को कहा गया क्योंकि उसने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी।
उन्होंने पीठ से आग्रह किया, “कृपया स्थिति स्पष्ट करें क्योंकि हमने मामला दर्ज कर लिया है।”
प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक नहीं लगाई है।
पीठ ने इसके बाद मामले की सुनवाई 22 मई से दो जुलाई तक ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद करने की बात कही।
भाषा प्रशांत अविनाश
अविनाश

Facebook



