Supreme Court on Aravalli Hills: अरावली विवाद में नया मोड़! सुप्रीम कोर्ट ने अपने ही फैसले पर लगाई रोक, केंद्र सरकार को जारी किया नोटिस

अरावली हिल्स विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने पहले दिए गए फैसले को फिलहाल स्थगित कर दिया है। नई परिभाषा के अनुसार 100 मीटर या उससे ऊंची भू-आकृतियों को अरावली पहाड़ी और 500 मीटर के दायरे में दो या अधिक पहाड़ियों को अरावली रेंज में शामिल किया जाएगा। अगली सुनवाई 21 जनवरी 2026 को होगी।

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  • Publish Date - December 29, 2025 / 02:11 PM IST,
    Updated On - December 29, 2025 / 02:12 PM IST

Supreme Court on Aravalli Hills / Image Source : IBC24

HIGHLIGHTS
  • सुप्रीम कोर्ट ने अरावली हिल्स विवाद में पूर्व फैसले को फिलहाल के लिए स्थगित कर दिया।
  • अगली सुनवाई 21 जनवरी 2026 को होगी और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया गया।
  • नई परिभाषा में 100 मीटर ऊंची भू-आकृति और 500 मीटर के दायरे में दो या अधिक पहाड़ियों को शामिल किया गया।

Aravalli Hills Controversy दिल्ली : अरावली हिल्स की बदली परिभाषा को लेकर पूरे देश में जमकर विवाद हो रहा था। इस विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट ने मामले को स्वत: संज्ञान में लेते हुए आज 29 दिसंबर 2025 में बड़ा फैसला सुनाया है। प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने इस मामले पर दिए गए पूर्व के फैसले को फिलहाल के लिए स्‍थगित कर दिया है इस पूरे मामले में अब 21 जनवरी 2026 को अगली सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए कुछ सवालों के जवाब मांगे है साथ ही उच्च स्तरीय कमेटी गठित करने के भी निर्देश दिए है।

Aravalli Hills Controversy दरअसल, 20 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अरावली पहाड़ियों और श्रेणियों (रेंज) की एक समान और वैज्ञानिक परिभाषा को मंजूरी दी थी। दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात में फैले अरावली क्षेत्र में विशेषज्ञों की रिपोर्ट आने तक नई खनन लीज देने पर रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) की एक समिति की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए कहा था कि दुनिया की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखलाओं में से एक अरावली की रक्षा के लिए स्पष्ट और वैज्ञानिक परिभाषा बेहद जरूरी है।

क्या थी नई परिभाषा ?

Aravalli Hills Controversy समिति के अनुसार, अरावली जिलों में स्थित कोई भी भू-आकृति, जिसकी ऊंचाई जमीन से 100 मीटर या उससे अधिक हो, उसे अरावली पहाड़ी माना जाएगा। वहीं, 500 मीटर के दायरे में स्थित दो या उससे अधिक ऐसी पहाड़ियों को मिलाकर अरावली रेंज की श्रेणी में रखा जाएगा. समिति ने यह भी स्पष्ट किया कि पहाड़ी के साथ उसकी सहायक ढलानें, आसपास की भूमि और संबंधित भू-आकृतियां, चाहे उनका ढाल कितना भी हो, अरावली का हिस्सा मानी जाएंगी। इसी तरह, दो पहाड़ियों के बीच का क्षेत्र भी निर्धारित मापदंडों के अनुसार अरावली रेंज में शामिल होगा।

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अरावली हिल्स विवाद क्या है?

अरावली पहाड़ियों की परिभाषा और खनन नीतियों को लेकर दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात में विवाद हुआ था। सुप्रीम कोर्ट ने इसे स्वत: संज्ञान में लिया।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला लिया?

सुप्रीम कोर्ट ने पहले दिए गए फैसले को फिलहाल स्थगित कर दिया और अगली सुनवाई 21 जनवरी 2026 के लिए निर्धारित की।

नई परिभाषा क्या है?

समिति के अनुसार, जमीन से 100 मीटर या उससे अधिक ऊंचाई वाली भू-आकृति को अरावली पहाड़ी माना जाएगा, और 500 मीटर के दायरे में स्थित दो या अधिक पहाड़ियों को अरावली रेंज में शामिल किया जाएगा।