यमुना प्रदूषण को लेकर डीजेबी, एमसीडी पर जुर्माना लगाने के एनजीटी के आदेश पर न्यायालय ने रोक लगाई
यमुना प्रदूषण को लेकर डीजेबी, एमसीडी पर जुर्माना लगाने के एनजीटी के आदेश पर न्यायालय ने रोक लगाई
नयी दिल्ली, आठ अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें राजधानी के नालों और यमुना में अवजल प्रदूषण को रोकने में विफल रहने पर दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) पर 50.44 करोड़ रुपये का संयुक्त पर्यावरणीय जुर्माना लगाया गया था।
प्रधान न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारिया की पीठ ने एनजीटी के 21 नवंबर, 2024 के आदेश के खिलाफ जल बोर्ड और एमसीडी की याचिका पर संज्ञान लिया।
शीर्ष अदालत ने नोटिस जारी किया और अगली सुनवाई तक आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी।
मामला दो महीने बाद सूचीबद्ध किया जाएगा।
नगर निकायों की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू ने कहा कि भारी जुर्माने से सार्वजनिक संस्थाओं पर अनुचित वित्तीय बोझ पड़ा है और इस पर पुनर्विचार की आवश्यकता है।
एनजीटी ने जल बोर्ड और एमसीडी पर 25.22 करोड़ रुपये की समान राशि का जुर्माना लगाया और उन्हें दो महीने के भीतर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास यह राशि जमा करने का निर्देश दिया।
न्यायाधिकरण ने शहर की वर्षा जल प्रणाली, विशेष रूप से कुशक नाले में अवजल के प्रवाह को रोकने में दोनों एजेंसियों की विफलता को रेखांकित किया, जो अंततः यमुना में जाकर गिरता है।
एनजीटी ने यह भी कहा कि प्राधिकारियों द्वारा कुशक नाले में किए गए परिवर्तन से इसकी कार्यात्मक क्षमता प्रभावित हुई है और इससे जहरीली गैसों का उत्सर्जन हुआ है, जिससे वायु प्रदूषण बढ़ा है और स्थानीय निवासियों का स्वास्थ्य खतरे में पड़ा है।
उसने कहा कि एमसीडी ने अपने कानूनी अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर काम किया है और वह भी प्रदूषण फैलाने में समान रूप से दोषी है।
भाषा प्रशांत सुरेश
सुरेश

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