उच्चतम न्यायालय ने कांग्रेस विधायक के निर्वाचन को रद्द करने संबंधी आदेश पर रोक लगाई

उच्चतम न्यायालय ने कांग्रेस विधायक के निर्वाचन को रद्द करने संबंधी आदेश पर रोक लगाई

उच्चतम न्यायालय ने कांग्रेस विधायक के निर्वाचन को रद्द करने संबंधी आदेश पर रोक लगाई
Modified Date: October 14, 2025 / 10:41 pm IST
Published Date: October 14, 2025 10:41 pm IST

नयी दिल्ली, 14 अक्टूबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें मालूर से कांग्रेस विधायक के वाई नानजेगौड़ा के निर्वाचन को रद्द कर दिया गया था। साथ ही न्यायालय ने निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया कि 2023 के विधानसभा चुनाव में उनके निर्वाचन क्षेत्र में डाले गए मतों की पुनर्गणना की जाए और परिणाम सीलबंद लिफाफे में न्यायालय को सौंपे।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने उच्च न्यायालय के 16 सितंबर के फैसले के कुछ निर्देशों को बरकरार रखते हुए नानजेगौड़ा को विधानसभा का सदस्य बने रहने की अनुमति दे दी। यह फैसला भाजपा नेता के एस मंजूनाथ गौड़ा की चुनाव याचिका पर आया। मंजूनाथ गौड़ा चुनाव में नानजेगौड़ा से हार गए थे और उन्होंने मतगणना प्रक्रिया में अनियमितताओं का आरोप लगाया था।

पीठ ने आदेश दिया, ‘इस बीच, उच्च न्यायालय के उस फैसले पर रोक रहेगी, जिसके तहत अपीलकर्ता के चुनाव को रद्द कर दिया गया था। अपीलकर्ता कर्नाटक राज्य विधानसभा का निर्वाचित सदस्य बना रहेगा।’

 ⁠

शीर्ष अदालत ने निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया कि वह मतों की पुनर्गणना के मामले में उच्च न्यायालय के निर्देश का पालन करे और शीर्ष अदालत की अनुमति के बिना परिणाम घोषित न करे।

पीठ ने कहा, ‘हालांकि, निर्वाचन आयोग को मतों की पुनर्गणना के संबंध में निर्देशों का पालन करने और परिणाम को इस न्यायालय के समक्ष सीलबंद लिफाफे में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया जाता है।’’

पीठ ने कहा, ‘यह स्पष्ट किया जाता है कि पुनर्गणना के बाद परिणाम इस न्यायालय की पूर्व अनुमति के बिना घोषित नहीं किए जाएंगे।’

शीर्ष अदालत ने भाजपा नेता के एस मंजूनाथ गौड़ा की याचिका पर उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया।

चुनाव में, नानजेगौड़ा ने भाजपा उम्मीदवार मंजूनाथ गौड़ा को मात्र 248 मतों के अंतर से हराया। नानजेगौड़ा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने दलील दी कि उच्च न्यायालय ने सात मुद्दे तय करने के बाद अपने निष्कर्ष में गलती की, लेकिन किसी पर भी फैसला नहीं किया।

मंजूनाथ गौड़ा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने दलील दी कि यह मामला केवल वीडियो रिकॉर्डिंग का ही नहीं, बल्कि मतगणना प्रक्रिया में ‘अनियमितताओं’ का भी है। पीठ ने मंजूनाथ गौड़ा से 24 नवंबर तक जवाब मांगा है।

भाषा आशीष दिलीप

दिलीप


लेखक के बारे में