उच्चतम न्यायालय ने न्यायाधिकरण सुधार अधिनियम के अहम प्रावधानों को रद्द किया

उच्चतम न्यायालय ने न्यायाधिकरण सुधार अधिनियम के अहम प्रावधानों को रद्द किया

उच्चतम न्यायालय ने न्यायाधिकरण सुधार अधिनियम के अहम प्रावधानों को रद्द किया
Modified Date: November 19, 2025 / 12:16 pm IST
Published Date: November 19, 2025 12:16 pm IST

नयी दिल्ली, 19 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने विभिन्न न्यायाधिकरणों के सदस्यों की नियुक्ति, कार्यकाल और सेवा शर्तों से संबंधित 2021 के न्यायाधिकरण सुधार कानून के कई प्रावधानों को बुधवार को रद्द कर दिया और कहा कि इन्हें केंद्र द्वारा मामूली बदलावों के साथ फिर से लागू किया गया था।

भारत के प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा कि विवादित प्रावधान शक्तियों के पृथक्करण और न्यायिक स्वतंत्रता के सिद्धांतों का उल्लंघन करते हैं और उन्हें वापस नहीं लाया जाना चाहिए।

पीठ ने कहा कि लंबित मामलों से निपटना केवल न्यायपालिका की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह जिम्मेदारी सरकार के अन्य अंगों को भी उठानी होगी।

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पीठ ने कहा कि संसद ने पहले से ही न्यायालय द्वारा रद्द किए गये प्रावधानों को पुनः लागू करके बाध्यकारी न्यायिक मिसालों की ‘‘विधायी रूप से अवहेलना’’ का प्रयास किया।

प्रधान न्यायाधीश ने फैसला पढ़ते हुए कहा, ‘‘हमने अध्यादेश और 2021 के अधिनियम के प्रावधानों की तुलना की है और यह दर्शाता है कि पहले ही खारिज किए जा चुके सभी प्रावधानों को मामूली बदलाव के साथ फिर से लागू किया गया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इस प्रकार हमारा मानना है कि 2021 अधिनियम के प्रावधानों को बरकरार नहीं रखा जा सकता क्योंकि यह शक्तियों के पृथक्करण और न्यायिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है। यह किसी भी खामी को दूर किए बिना और बाध्यकारी निर्णय के विपरीत जाकर विधायी अतिक्रमण के समान है… यह संविधान के अनुरूप नहीं है। इसलिए, इसे असंवैधानिक घोषित करके रद्द किया जाता है।’’

न्यायालय ने कार्यकाल पर पूर्व के न्यायिक निर्देशों को बहाल कर दिया, तथा यह स्पष्ट कर दिया कि आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (आईटीएटी) और सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क एवं सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण (सीईएसटीएटी) के सदस्य 62 वर्ष की आयु तक सेवा में बने रहेंगे, जबकि उनके अध्यक्ष 65 वर्ष की आयु तक पद पर बने रहेंगे।

शीर्ष अदालत ने न्यायाधिकरण सुधार (युक्तिकरण और सेवा शर्तें) अधिनियम, 2021 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 11 नवंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

सरकार 2021 में अधिनियम लाई जिसमें फिल्म प्रमाणन अपीलीय न्यायाधिकरण सहित कुछ अपीलीय न्यायाधिकरणों को समाप्त कर दिया गया और विभिन्न न्यायाधिकरणों के न्यायिक एवं अन्य सदस्यों की नियुक्ति, कार्यकाल से संबंधित विभिन्न शर्तों में संशोधन किया गया।

भाषा

गोला वैभव

वैभव


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