न्यायालय रोहिंग्या शरणार्थियों के सरकारी स्कूलों में प्रवेश के मुद्दे पर 10 फरवरी को करेगा विचार

न्यायालय रोहिंग्या शरणार्थियों के सरकारी स्कूलों में प्रवेश के मुद्दे पर 10 फरवरी को करेगा विचार

न्यायालय रोहिंग्या शरणार्थियों के सरकारी स्कूलों में प्रवेश के मुद्दे पर 10 फरवरी को करेगा विचार
Modified Date: February 9, 2025 / 05:54 pm IST
Published Date: February 9, 2025 5:54 pm IST

नयी दिल्ली, नौ फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय राष्ट्रीय राजधानी में रहने वाले रोहिंग्या शरणार्थियों को सरकारी स्कूलों और अस्पतालों तक पहुंच प्रदान करने के लिए केंद्र और दिल्ली सरकार को निर्देश देने के अनुरोध संबंधी याचिका पर सोमवार को सुनवाई करेगा।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ याचिका पर सुनवाई करेगी।

शीर्ष अदालत ने 31 जनवरी को गैर सरकारी संगठन ‘रोहिंग्या ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव’ से कहा कि वह अदालत को बताए कि ये रोहिंग्या शरणार्थी दिल्ली में कहां-कहां बसे हैं और उन्हें कौन-कौन सी सुविधाएं उपलब्ध हैं।

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अदालत ने वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजाल्विस से हलफनामा दाखिल कर दिल्ली में उनके बसने के स्थानों के बारे में बताने को कहा था।

गोंजाल्विस ने कहा कि एनजीओ ने रोहिंग्या शरणार्थियों को सरकारी स्कूलों और अस्पतालों में प्रवेश देने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया है, क्योंकि आधार कार्ड न होने के कारण उन्हें प्रवेश नहीं दिया गया।

उन्होंने कहा, ‘‘वे शरणार्थी हैं जिनके पास यूएनएचसीआर (शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त) कार्ड हैं, इसलिए उनके पास आधार कार्ड नहीं हो सकते। लेकिन, आधार के अभाव में उन्हें सरकारी स्कूलों और अस्पतालों में प्रवेश नहीं दिया जा रहा है।’’

पीठ ने कहा था कि चूंकि अदालत के समक्ष कोई पीड़ित पक्ष नहीं है, बल्कि एक संगठन है, इसलिए एनजीओ को एक हलफनामा दाखिल करना होगा जिसमें उनके बसने के स्थानों का उल्लेख हो तथा यह भी स्पष्ट किया जाए कि वे शिविरों में रहते हैं या आवासीय कॉलोनियों में।

गोंजाल्विस ने कहा था कि रोहिंग्या शरणार्थी दिल्ली के शाहीन बाग, कालिंदी कुंज और खजूरी खास इलाकों में रहते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘शाहीन बाग और कालिंदी कुंज में वे झुग्गियों में रह रहे हैं, जबकि खजूरी खास में वे किराए के मकान में रह रहे हैं।’’

शीर्ष अदालत ने कहा था कि उसने यह समझने के लिए सवाल पूछे थे कि अगर वे शिविरों में रहते हैं, तो राहत की प्रकृति जनहित याचिका में उल्लिखित राहत से अलग होगी।

गोंजाल्विस ने कहा था कि रोहिंग्या से संबंधित अन्य मामलों में, केंद्र ने यह रुख अपनाया कि उन्हें सरकारी स्कूलों और अस्पतालों में जाने का अधिकार है।

जनहित याचिका में प्राधिकारियों को निर्देश देने की मांग की गई है कि वे सभी रोहिंग्या बच्चों को बिना आधार कार्ड के भी निशुल्क प्रवेश दें तथा उन्हें पहचान पत्र के लिए जोर दिए बिना कक्षा 10, 12 और स्नातक सहित सभी परीक्षाओं में भाग लेने की अनुमति दें।

भाषा आशीष संतोष

संतोष


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