उच्चतम न्यायालय ने बिना अनुमति विदेश यात्रा करने पर न्यायिक अधिकारी की बर्खास्तगी को बरकरार रखा

उच्चतम न्यायालय ने बिना अनुमति विदेश यात्रा करने पर न्यायिक अधिकारी की बर्खास्तगी को बरकरार रखा

उच्चतम न्यायालय ने बिना अनुमति विदेश यात्रा करने पर न्यायिक अधिकारी की बर्खास्तगी को बरकरार रखा
Modified Date: January 17, 2025 / 09:16 pm IST
Published Date: January 17, 2025 9:16 pm IST

नयी दिल्ली, 17 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को एक न्यायिक अधिकारी की बर्खास्तगी को बरकरार रखा, जिसने 2019 में जरूरी अनुमति के बिना दोहा और ब्रिटेन की यात्रा की थी।

न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने अधिकारी के आचरण पर सवाल उठाया और कहा कि उसे न्यायिक प्रणाली में नहीं रहना चाहिए क्योंकि उसने दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ की है।

याचिकाकर्ता अभिनव किरण सेखों की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंसाल्विस ने अदालत को अपने मुवक्किल के व्यवहार के बारे में समझाने की कोशिश की, लेकिन पीठ ने मामले की फाइलों पर गौर करने से इनकार कर दिया और कहा कि याचिका पर विचार करने से गलत संकेत जाएगा।

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पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने चीजों को अदालत से दूर रखने का भी प्रयास किया है और उसके सामने पूरे तथ्य पेश नहीं किए।

पिछले साल 29 फरवरी को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने न्यायिक अधिकारी को बर्खास्त करने के फैसले को बरकरार रखा था।

उच्च न्यायालय ने प्रशासनिक स्तर पर लिए गए अपने फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था।

पंजाब सरकार ने 15 दिसंबर, 2020 को उच्च न्यायालय की पूर्ण अदालत से एक सिफारिश के बाद अधिकारी की बर्खास्तगी का आदेश पारित किया था।

सेखों अप्रैल 2016 में न्यायिक सेवा में शामिल हुए और अप्रैल 2017 में प्रशिक्षण पूरा किया। उन्होंने शुरुआत में फिरोजपुर में दीवानी न्यायाधीश (जूनियर डिवीजन) के रूप में कार्य किया तथा उसके बाद कुछ और कार्यभार संभाला। अप्रैल 2021 में उनकी बर्खास्तगी के आदेश पारित किए गए।

जांच के दौरान यह पता चला कि सेखों ने पूर्व अनुमति के बिना दोहा और ब्रिटेन की दो यात्राएं की थीं और जब उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया, तो उन्होंने तथ्यों को गलत तरीके से पेश करने की कोशिश की।

भाषा नेत्रपाल धीरज

धीरज


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