स्वाति मालीवाल से मारपीट मामला : केजरीवाल के सहयोगी बिभव कुमार के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल

स्वाति मालीवाल से मारपीट मामला : केजरीवाल के सहयोगी बिभव कुमार के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल

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  • Publish Date - July 16, 2024 / 06:10 PM IST,
    Updated On - July 16, 2024 / 06:10 PM IST

नयी दिल्ली, 16 जुलाई (भाषा) आम आदमी पार्टी (आप) की राज्यसभा सदस्य स्वाति मालीवाल के साथ कथित मारपीट के मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सहयोगी बिभव कुमार के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को 500 पन्नों का आरोप पत्र दाखिल किया है।

आरोप पत्र मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट गौरव गोयल की अदालत में दाखिल किया गया है। उन्होंने कुमार की न्यायिक हिरासत भी 30 जुलाई तक के लिए बढ़ा दी है।

कुमार पर 13 मई को मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास में स्वाति मालीवाल के साथ मारपीट करने का आरोप है।

अदालत में मंगलवार की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने सूचित किया कि करीब 500 पन्नों का आरोप पत्र है और इसमें 50 गवाहों के बयान भी शामिल हैं।

अंतिम रिपोर्ट भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत दायर की गई है। इनमें धारा 201 (अपराध के साक्ष्य को गायब करना), 308 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास), 341 (गलत तरीके से रोकना), 354 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग), 354 बी (महिला का वस्त्र हरण करने के इरादे से उसके खिलाफ बल प्रयोग), 506 (आपराधिक धमकी) और 509 (किसी भी शब्द, हाव-भाव या वस्तु का उपयोग करके महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना) शामिल हैं।

दिल्ली के सिविल लाइन्स पुलिस थाना में 16 मई को प्राथमिकी दर्ज की गई थी और आरोपी कुमार की गिरफ्तारी 18 मई को हुई थी। उन्हें उसी दिन मजिस्ट्रेट अदालत ने पांच दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया। अदालत ने साथ ही टिप्पणी की कि कुमार की अग्रिम जमानत की अर्जी उनकी गिरफ्तारी के बाद अप्रभावी हो गई है।

अदालत ने 24 मई को उन्हें चार दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा और उसके बाद फिर से तीन दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया।

महिला अपर पुलिस उपायुक्त स्तर की अधिकारी के नेतृत्व में टीम पूरे प्रकरण की जांच कर रही है। गत शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी कुमार को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि ‘‘वह काफी प्रभावशाली’’ हैं।

न्यायाधीश ने कहा कि इससे इनकार नहीं किया जा सकता है कि याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा करने से गवाह प्रभावित हो सकते हैं या सबूतों से छेड़छाड़ हो सकती है।

भाषा धीरज पवनेश

पवनेश