न्यायालय ने स्वाति मालीवाल हमला मामले में बिभव से पूछा, क्या मुख्यमंत्री के घर में ‘गुंडा’ घुसा था
न्यायालय ने स्वाति मालीवाल हमला मामले में बिभव से पूछा, क्या मुख्यमंत्री के घर में 'गुंडा' घुसा था
नयी दिल्ली, एक अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सहयोगी बिभव कुमार को फटकार लगाते हुए पूछा, ‘‘क्या इस तरह के गुंडे को मुख्यमंत्री आवास में काम करना चाहिए।’’
कुमार ने इस साल मई में आप सांसद स्वाति मालीवाल पर कथित रूप से हमला किया था।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कुमार की जमानत याचिका पर सुनवायी अगले बुधवार के लिए सूचीबद्ध की। पीठ ने बिभव कुमार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी से कहा कि अदालत दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा दर्ज की गई घटना के विवरण से हैरान है।
बिभव कुमार ने मामले में जमानत देने से इनकार करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के 12 जुलाई के आदेश को चुनौती दी है और दावा किया है कि उसके खिलाफ आरोप झूठे हैं। उसने यह भी कहा है कि जांच पूरी होने के कारण अब उसकी हिरासत की आवश्यकता नहीं है। शीर्ष अदालत ने बिभव कुमार की याचिका पर दिल्ली सरकार को एक नोटिस जारी किया।
पीठ ने सिंघवी से पूछा, ‘‘क्या मुख्यमंत्री आवास एक निजी बंगला है? क्या इस तरह के ‘गुंडे’ को मुख्यमंत्री आवास में काम करना चाहिए?’’
सिंघवी ने इस पर कहा कि चोटें गंभीर नहीं थीं और 13 मई की घटना के तीन दिन बाद एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
अपनी तीखी टिप्पणियों में, पीठ ने सिंघवी से यह भी पूछा कि राज्यसभा सदस्य मालीवाल का हमले की घटना के दौरान पुलिस हेल्पलाइन पर कॉल करना क्या संकेत देता है।
पीठ ने कहा, ‘‘हम हर दिन भाड़े के हत्यारों, हत्यारों, लुटेरों को जमानत देते हैं, लेकिन सवाल यह है कि किस तरह की घटना…।’’
पीठ ने कहा कि जिस तरह से यह घटना हुई, उससे वह परेशान है।
पीठ ने कहा, ‘‘उसने (बिभव कुमार) ऐसा व्यवहार किया जैसे कोई ‘गुंडा’ मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास में घुस आया हो।’’
पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय के समक्ष उसकी पूरी दलील यह थी कि उनके (मालीवाल) आरोप मनगढ़ंत हैं।
सिंघवी ने कहा कि घटना के दिन वह पुलिस थाने गई थीं, फिर बिना कुछ कहे वापस आ गईं लेकिन फिर तीन दिन बाद उन्होंने प्राथमिकी दर्ज करायी।
पीठ ने कहा, ‘‘ हम हैरान हैं? क्या एक युवती से बात करने का यह तरीका है? मालीवाल द्वारा अपनी शारीरिक स्थिति के बारे में बताने के बाद भी उसने (बिभव कुमार ने) मालीवाल के साथ मारपीट की।’’
सिंघवी ने कहा कि अदालत मालीवाल द्वारा दर्ज करायी गई प्राथमिकी के विवरण पर भरोसा कर रही है, लेकिन कुमार की शिकायत मालीवाल की ‘मित्रवत’ पुलिस और दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा दर्ज नहीं की गई थी।
न्यायमूर्ति कांत ने कहा, ‘हमें आपकी आंतरिक राजनीति से मतलब नहीं है और अदालत केवल केस रिकॉर्ड और प्राथमिकी पर गौर कर रही है।’
मामले के रिकॉर्ड का हवाला देते हुए पीठ ने कहा कि वह इसे खुली अदालत में नहीं पढ़ना चाहती, लेकिन एक बार जब उन्होंने (मालीवाल) उसे अपनी विशेष शारीरिक स्थितियों के कारण ऐसा करने से मना किया, तो इस व्यक्ति ने उन पर हमला करना जारी रखा।
पीठ ने कहा, ‘वह खुद को क्या समझता है? क्या सत्ता उसके सिर पर चढ़ गई है।’
सिंघवी ने कहा कि ये सभी आरोप परीक्षण के मामले हैं और फिलहाल वह केवल जमानत का अनुरोध कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मामले को उच्चतम स्तर पर ले जाने और अपराध को देखने के बाद भी वह जमानत का हकदार है, क्योंकि वह सबूतों से छेड़छाड़ नहीं कर सकता या गवाहों को प्रभावित नहीं कर सकता।
पीठ ने कहा, ‘हां, हम केवल जमानत के मुद्दे पर गौर कर रहे हैं।’ पीठ ने कहा कि अगर इस तरह का व्यक्ति गवाहों को प्रभावित नहीं कर सकता, तो कौन कर सकता है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा, ‘रिकॉर्ड देखिए, क्या ड्राइंग रूम (मुख्यमंत्री आवास) में कोई ऐसा व्यक्ति था जिसने उसके (बिभव कुमार) खिलाफ बोलने की हिम्मत की? हमें लगता है कि उसे शर्म भी नहीं आयी।’
सिंघवी ने कहा कि मामले में आरोप-पत्र दाखिल किया जा चुका है और कुमार 75 दिनों से हिरासत में है।
वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि बिभव कुमार को सत्र अदालत द्वारा ही जमानत दे दी जानी चाहिए थी।
पीठ ने कहा कि यह बड़ी या छोटी चोट का मामला नहीं है, बल्कि घटना की प्रकृति का है। पीठ ने कहा कि कुमार ने ऐसा व्यवहार किया जैसे ‘कोई गुंडा मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास में घुस गया हो।’
न्यायमूर्ति दत्ता ने सिंघवी से कुमार के पद के बारे में पूछा। सिंघवी ने जवाब दिया कि कुमार पहले सरकारी कर्मचारी था और अब वह केजरीवाल का राजनीतिक सलाहकार-सह-सचिव है, जो राजनीतिक नियुक्तियों को संभालता है।
सिंघवी ने कहा कि सुनवाई की अगली तारीख पर वे मामले पर बहस करने के लिए पीड़िता (मालीवाल) की मेडिकल रिपोर्ट और आरोप-पत्र की एक प्रति लेकर आएंगे।
कुमार ने 13 मई को केजरीवाल के आधिकारिक आवास पर मालीवाल पर कथित तौर पर हमला किया था।
कुमार के खिलाफ 16 मई को भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसमें आपराधिक धमकी, महिला पर हमला या उसे निर्वस्त्र करने के इरादे से आपराधिक बल का प्रयोग और गैर इरादतन हत्या का प्रयास शामिल है। उसे 18 मई को गिरफ्तार किया गया था।
बिभव कुमार को जमानत देने से इनकार करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा था कि आरोपी का ‘काफी प्रभाव’ है और उसे राहत देने का कोई आधार नहीं बनता। अदालत ने कहा था कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि जमानत देने पर याचिकाकर्ता मामले में गवाहों को प्रभावित कर सकता है या सबूतों से छेड़छाड़ की जा सकती है।
भाषा अमित संतोष
संतोष

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