तख्त पटना साहिब ने सुखबीर सिंह बादल को ‘तनखैया’ घोषित किया

तख्त पटना साहिब ने सुखबीर सिंह बादल को ‘तनखैया’ घोषित किया

तख्त पटना साहिब ने सुखबीर सिंह बादल को ‘तनखैया’ घोषित किया
Modified Date: July 5, 2025 / 07:48 pm IST
Published Date: July 5, 2025 7:48 pm IST

चंडीगढ़, पांच जुलाई (भाषा)बिहार स्थित तख्त श्री पटना साहिब के जत्थेदारों ने शनिवार को शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल को उनके समक्ष उपस्थित न होने और निर्देशों की अनदेखी करने के लिए ‘तनखैया’ (धार्मिक दंड का दोषी) घोषित किया।

तख्त श्री पटना साहिब सिख धर्म की पांच प्रमुख धार्मिक तख्त में से एक है। अमृतसर में अकाल तख्त सर्वोच्च धार्मिक तख्त है।

पिछले साल अगस्त में अकाल तख्त ने बादल को ‘तनखैया’ घोषित किया था। उन्हें दिसंबर में पंजाब में शिरोमणि अकाली दल सरकार द्वारा 2007 से 2017 तक की गई ‘गलतियों’ के लिए धार्मिक सजा (तनखाह) दी गई थी।

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तख्त श्री पटना साहिब के जत्थेदार और मुख्य ‘ग्रंथी’ ज्ञानी बलदेव सिंह ने शनिवार को बिहार के पटना में बादल को ‘तनखैया’ घोषित करने का फैसला सुनाया।

बलदेव सिंह ने निर्देश में कहा कि अकाल तख्त के जत्थेदार और तख्त श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार ने 21 मई को स्थापित मानदंडों, संविधान को चुनौती देकर और तख्त श्री पटना साहिब के अधिकार में अनुचित हस्तक्षेप करके एक ‘अनधिकृत और असंवैधानिक’’ निर्णय जारी किया था।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें इस पूरे घटनाक्रम में षड्यंत्रकारी के रूप में आपकी (बादल) संलिप्तता के बारे में जानकारी मिली थी। आपको अपना पक्ष रखने के लिए दो मौके दिए गए, लेकिन आप उपस्थित नहीं हुए।’

तख्त श्री पटना साहिब द्वारा जारी निर्देश में कहा गया, ‘‘शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी के अनुरोध पर तीसरी बार 20 दिन का अतिरिक्त समय दिया गया, लेकिन फिर भी आप उपस्थित नहीं हुए। इससे यह स्पष्ट है कि आप उपरोक्त घटनाक्रम में शामिल हैं।’’

निर्देश में कहा गया, ‘‘सुखबीर सिंह बादल को तख्त श्री पटना साहिब के आदेशों की अनदेखी करने का दोषी पाए जाने पर ‘तनखैया’ घोषित किया जाता है।’’

वर्तमान घटनाक्रम का आधार अकाल तख्त के 21 मई के निर्देश है, जिसमें उसने तख्त श्री पटना साहिब के जत्थेदार और मुख्य ग्रंथी ज्ञानी बलदेव सिंह तथा अतिरिक्त मुख्य ग्रंथी गुरदयाल सिंह को पंथिक कर्तव्यों का निर्वहन करने से रोक दिया था, जिसके कारण दोनों तख्तों के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो गई थी।

तख्त श्री पटना साहिब ने जवाब में उसी दिन अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गरगज और तख्त दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी टेक सिंह को ‘तनखैया’ घोषित कर दिया और बादल को भी कथित ‘षड्यंत्रकारी के रूप में शामिल होने’ के लिए तलब किया।

एसजीपीसी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने तख्त श्री पटना साहिब द्वारा बादल को ‘तनखैया’ घोषित करने के फैसले पर चिंता व्यक्त करते हुए इसे उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर का कार्य बताया। उन्होंने कहा कि इससे ‘पंथ’ (सिख समुदाय) में भ्रम की स्थिति पैदा होगी।

धामी ने एक बयान में कहा कि ‘खालसा पंथ’ की परंपराएं और रीति-रिवाज सामुदायिक मुद्दों को सुलझाने के लिए हैं, न कि समुदाय के भीतर संकट पैदा करने के लिए।

उन्होंने रेखांकित किया कि अकाल तख्त साहिब की सर्वोच्चता को कम करना अनुचित है तथा इस तरह की कार्रवाई से सिख समुदाय में आंतरिक मतभेद पैदा हो सकता है।

धामी ने स्वीकार किया कि यद्यपि तख्त श्री पटना साहिब का सिख जगत में बहुत सम्मान है, तथापि ‘पंथिक’ मामलों पर विचार-विमर्श करने का अधिकार केवल अकाल तख्त के पास है।

उन्होंने कहा कि अकाल तख्त के नेतृत्व में पांच सिंह साहिबान द्वारा संयुक्त रूप से ‘पंथिक’ मुद्दों को सुलझाने की एक लंबी ऐतिहासिक परंपरा रही है।

धामी ने चेतावनी दी कि यदि अकाल तख्त की सर्वोच्चता को अन्य तख्तों द्वारा चुनौती दी जाने लगेगी, तो इससे सिख परंपराओं के सार और समृद्धि को गंभीर नुकसान पहुंचेगा।

भाषा धीरज दिलीप रंजन

दिलीप


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