बीजीआर-34 और एलोपैथिक दवा साथ में लेने से मधुमेह को नियंत्रित करने में मिल सकती है मदद:अध्ययन

बीजीआर-34 और एलोपैथिक दवा साथ में लेने से मधुमेह को नियंत्रित करने में मिल सकती है मदद:अध्ययन

बीजीआर-34 और एलोपैथिक दवा साथ में लेने से मधुमेह को नियंत्रित करने में मिल सकती है मदद:अध्ययन
Modified Date: November 29, 2022 / 07:49 pm IST
Published Date: January 30, 2021 10:59 am IST

नयी दिल्ली, 30 जनवरी (भाषा) आयुर्वेदिक औषधि ‘बीजीआर-34’ के साथ-साथ एलोपैथिक दवा ‘ग्लीबेनक्लामाइड’ का इस्तेमाल मधुमेह (डायबिटीज) को नियंत्रित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यहां अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ( एम्स) के चिकित्सकों के अध्ययन के अंतरिम नतीजों में यह दावा किया गया है।

अध्ययन में कहा गया है कि मधुमेह से ग्रसित लोगों के अन्य की तुलना में हृदय संबंधी रोग, दूसरी बीमारियों से पीड़ित होने की संभावना दो से चार गुना अधिक होती है, जो कोविड-19 के संक्रमण में आने पर उस व्यक्ति को अधिक जोखिम में डाल सकता है।

जंतु प्रायोगिक अध्ययन के अंतरिम विश्लेषण में चिकित्सकों ने पाया है कि मधुमेह के बढ़ने की गति रोकी जा सकती है, बशर्ते कि हर्बल औषधि बीजीआर-34 के साथ एलोपैथिक दवा भी चलाई जाए। दरअसल, हर्बल औषधि ‘एंटीऑक्सीडेंट’ के गुण प्रचुर मात्रा में होते हैं जो हानिकारक कोलेस्ट्रॉल (वसा) को हृदय की धमनियों में जमा नहीं होने देता है।

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बीजीआर-34 को एलोपैथिक दवा के साथ इस्तेमाल किये जाने पर उसकी प्रभाव क्षमता का पता लगाने के लिए एम्स के चिकित्सकों ने अध्ययन में शामिल लोगों के एक समूह को आयुर्वेदिक औषधि और एलोपैथिक दवा ग्लीबेनक्लामाइड अलग-अलग दी, जबकि दूसरे समूह को दोनों दवाइयां मिला कर दी गई।

अध्ययन में यह पाया गया कि दोनों दवाइयों का एक साथ इस्तेमाल करने वाले लोगों का इंसुलिन का स्तर उन लोगों की तुलना में कहीं अधिक बढ़ गया, जिन्हें केवल एलोपैथिक दवा दी गई थी।

हिमालय के ऊपरी क्षेत्र में पायी जाने वाली जड़ी बूटियों–विजयसार, गिलोई, मेथिका आदि–के गुणों पर वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की लखनऊ स्थित दो प्रयोगशालाओं में गहन अनुसंधान करने के बाद बीजीआर-34 बनाई गई है।

हाल ही में, तेहरान विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की एक टीम अपने अलग अध्ययन में इस निष्कर्ष पर पहुंची थी कि हर्बल औषधि में एंटीऑक्सीडेंट के गुण होते हैं जो मधुमेह के मरीजों में कोविड-19 के खतरे को कम कर सकते हैं।

भाषा सुभाष मनीषा

मनीषा


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