भारत को विकसित राष्ट्र बनने के लिए प्रौद्योगिकी, मूल्यों को मजबूत करने की जरूरत: राष्ट्रपति मुर्मू
भारत को विकसित राष्ट्र बनने के लिए प्रौद्योगिकी, मूल्यों को मजबूत करने की जरूरत: राष्ट्रपति मुर्मू
मांड्या, 16 दिसंबर (भाषा) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को कहा कि भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में अग्रसर है, ऐसे में देश को प्रौद्योगिकी और मूल्यों, दोनों की ताकत की जरूरत है।
मुर्मू कर्नाटक के मांड्या जिले के मालवल्ली में आदि जगद्गुरु श्री शिवरात्रिश्वर शिवयोगी महास्वामीजी के 1066वें जयंती समारोह के उद्घाटन के अवसर पर बोल रही थीं।
उन्होंने कहा, “2047 तक विकसित भारत बनने के लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए, हमें प्रौद्योगिकी और मूल्यों, दोनों की ताकत की जरूरत है। एक विकसित भारत के लिए आधुनिक शिक्षा को नैतिक ज्ञान के साथ, नवाचार को पर्यावरणीय जिम्मेदारी के साथ, आर्थिक विकास को सामाजिक समावेश के साथ और प्रगति को करुणा के साथ एकीकृत करना आवश्यक है।”
राष्ट्रपति ने कहा कि केंद्र सरकार इसी समग्र दृष्टिकोण के साथ काम कर रही है।
उन्होंने दोहराया कि केंद्र सरकार समावेशन, सेवा और मानवीय गरिमा पर आधारित भविष्य के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है।
मुर्मू ने युवाओं की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत की सबसे बड़ी ताकत उसकी युवा आबादी है, जिसका भविष्य न केवल युवाओं के कौशल और ज्ञान से, बल्कि उनकी ईमानदारी और उद्देश्य की भावना से भी आकार लेगा।
उन्होंने कहा, “युवा-उनकी ऊर्जा, रचनात्मकता, मूल्य और चरित्र हमारी सबसे बड़ी ताकत हैं। भारत का भविष्य न केवल युवाओं के कौशल और ज्ञान से, बल्कि उनकी ईमानदारी और दृढ़ संकल्प से भी सुरक्षित होगा।”
मुर्मू ने कहा कि महास्वामीजी का जीवन और शिक्षाएं एक हजार से अधिक वर्षों के बाद भी अनगिनत लोगों को प्रेरणा देती हैं और उनका मार्गदर्शन करती हैं।
उन्होंने कहा कि युगों-युगों तक संतों ने ज्ञान और करुणा के माध्यम से मानवता को प्रबुद्ध किया है और समाज को याद दिलाया है कि सच्ची महानता अधिकार या धन में नहीं, बल्कि त्याग, सेवा और आध्यात्मिक शक्ति में निहित है।
दसवीं शताब्दी में सुत्तूर में जगद्गुरु श्री वीरसिंहासन महासंस्थान मठ की स्थापना को याद करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि जो एक पवित्र आध्यात्मिक केंद्र के रूप में शुरू हुआ था, वह धीरे-धीरे सामाजिक बदलाव के लिए एक ताकतवर शक्ति के रूप में उभरा।
उन्होंने कहा कि यह मठ एक ज्ञान केंद्र के रूप में विकसित हुआ, जिसने कई पीढ़ियों में अनुशासन, भक्ति और करुणा के मूल्यों का संचार किया।
भाषा पारुल दिलीप
दिलीप

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