तेलंगाना के मुख्यमंत्री का आरोप, केंद्र सरकार ने आरक्षण मुद्दे पर राष्ट्रपति के साथ बैठक से ‘रोका’

तेलंगाना के मुख्यमंत्री का आरोप, केंद्र सरकार ने आरक्षण मुद्दे पर राष्ट्रपति के साथ बैठक से ‘रोका’

तेलंगाना के मुख्यमंत्री का आरोप, केंद्र सरकार ने आरक्षण मुद्दे पर राष्ट्रपति के साथ बैठक से ‘रोका’
Modified Date: August 7, 2025 / 09:31 pm IST
Published Date: August 7, 2025 9:31 pm IST

नयी दिल्ली, सात अगस्त (भाषा) तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर दक्षिणी राज्य में शिक्षा, रोजगार और स्थानीय निकाय चुनावों में पिछड़े वर्गों के लिए 42 फीसदी आरक्षण के प्रावधान वाले विधेयकों पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ बैठक से रोकने के लिए हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया।

रेड्डी ने संवाददाताओं से बातचीत में दावा किया कि तेलंगाना मंत्रिमंडल और कांग्रेस पार्टी के प्रतिनिधिमंडल को राष्ट्रपति से मुलाकात के लिए दिल्ली में तीन दिन से इंतजार करना पड़ रहा है। उन्होंने स्थिति को “दुखद, खेदजनक और तेलंगाना के लोगों का अपमान” करार दिया।

रेड्डी ने कहा, “हमने पिछड़े वर्गों के लिए 42 फीसदी आरक्षण के प्रावधान वाले दो विधेयकों और एक अध्यादेश को जल्द मंजूरी देने के लिए राष्ट्रपति से मिलने का समय मांगा था।”

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उन्होंने आरोप लगाया, “जब हमने समय मांगा, तो मोदी और शाह राष्ट्रपति से मिले। हमें नहीं पता कि उन्होंने क्या चर्चा की, लेकिन हमारी पार्टी और कैबिनेट मंत्री इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए हस्तक्षेप किया कि हमें मुलाकात के लिए समय न मिले।”

तेलंगाना सरकार ने राष्ट्रपति मुर्मू को मंजूरी के लिए दो विधेयक भेजे हैं। इनमें तेलंगाना पिछड़ा वर्ग (ग्रामीण और शहरी स्थानीय निकायों में सीटों का आरक्षण) विधेयक-2025 और तेलंगाना पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (शैक्षणिक संस्थानों में सीटों का आरक्षण और राज्य के अधीन सेवाओं में नियुक्तियों या पदों का आरक्षण) विधेयक-2025 शामिल है। राज्य विधानमंडल ने शिक्षा, रोजगार और स्थानीय निकायों में पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण की सीमा बढ़ाकर 42 फीसदी किए जाने के लिए इन विधेयकों को मंजूरी दी है।

राज्य मंत्रिमंडल ने तेलंगाना पंचायत राज अधिनियम-2018 में संशोधन से जुड़े अध्यादेश के मसौदे को भी मंजूरी दे दी है, ताकि स्थानीय निकायों में पिछले अदालती फैसलों में निर्धारित 50 प्रतिशत की आरक्षण सीमा को अस्थायी रूप से रद्द करके इस आरक्षण को लागू किया जा सके, जो 30 सितंबर तक होने वाले आगामी स्थानीय चुनावों के लिए महत्वपूर्ण है।

रेड्डी ने कहा कि राज्यपाल ने ये विधेयक राष्ट्रपति के पास भेजे हैं।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार विधेयकों को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के लिए चार महीने से इंतजार कर रही है, जबकि तेलंगाना उच्च न्यायालय ने 30 सितंबर तक स्थानीय निकाय चुनाव कराने का निर्देश दिया है।

मुख्यमंत्री ने कहा, “अगर राष्ट्रपति विधेयक को मंजूरी दे देते हैं, तो हम चुनाव कराने के लिए तैयार हैं। हमने (पिछड़े वर्गों को) 42 प्रतिशत आरक्षण देने का वादा किया था।”

रेड्डी ने आरोप लगाया कि भाजपा “कमजोर वर्गों के अधिकारों को छीनने की साजिश” रच रही है। उन्होंने मामले की तुलना आरक्षण पर भाजपा के पुराने रुख से की।

रेड्डी ने कहा, “भाजपा ने मंडल आयोग में बाधा डाली और कमंडल आयोग ले आई। जब कांग्रेस आईआईटी (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) और आईआईएम (भारतीय प्रबंधन संस्थान) में आरक्षण देना चाहती थी, तो भाजपा ने इसका भी विरोध किया। आज भी हम ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) कोटा बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन मुसलमानों के नाम पर इसे रोक दिया गया है।”

मुख्यमंत्री ने कहा कि गुजरात, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में मुसलमानों को आरक्षण मिलता है। उन्होंने सवाल किया कि तेलंगाना में इसी तरह के प्रावधानों का विरोध क्यों किया जा रहा है।

रेड्डी ने विपक्षी दल भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) पर निशाना साधते हुए कहा, “बीआरएस भाजपा की ‘बी टीम’ के रूप में काम कर रही है और हमारे खिलाफ बयान दे रही है, लेकिन हम सफल होंगे। वे हमें 1-2 दिन के लिए रोक सकते हैं, लेकिन जो लोग कांग्रेस को रोकने की कोशिश करेंगे, हम जल्द उनका अंत देखेंगे।”

भाषा पारुल अविनाश

अविनाश


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