पाकिस्तान में आतंकवाद एक खुला कारोबार है: विदेश मंत्री जयशंकर
पाकिस्तान में आतंकवाद एक खुला कारोबार है: विदेश मंत्री जयशंकर
नयी दिल्ली, 26 मई (भाषा) विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि पाकिस्तान में आतंकवाद एक ‘खुला कारोबार’ है, जिसे देश और उसकी सेना द्वारा वित्तपोषित, संगठित और इस्तेमाल किया जाता है।
विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि भारत और पाकिस्तान अपने हालिया संघर्षों के दौरान परमाणु संघर्ष से ‘बहुत, बहुत दूर’ थे।
जर्मन अखबार ‘एफएजेड’ को दिए साक्षात्कार में, जयशंकर ने जाहिर तौर पर पश्चिमी देशों की आलोचना करते हुए कहा कि ‘‘दुनिया के हमारे हिस्से’’ में हर चीज को ‘‘परमाणु समस्या’’ से जोड़ने की प्रवृत्ति रही है।
जब पूछा गया कि दुनिया भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु संघर्ष से कितनी दूर है तो विदेश मंत्री ने जवाब दिया, ‘‘बहुत, बहुत दूर। मैं आपके सवाल से वाकई हैरान हूं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी बिंदु पर स्थिति परमाणु के स्तर तक नहीं पहुंची। एक धारणा बन गई है जैसे कि दुनिया के हमारे हिस्से में होने वाली हर चीज सीधे परमाणु समस्या की ओर ले जाती है। यह मुझे बहुत परेशान करता है, क्योंकि यह आतंकवाद जैसी भयानक गतिविधियों को बढ़ावा देता है।’’
जयशंकर ने कहा कि आतंकवादी संगठन पाकिस्तान के शहरों और कस्बों से ‘खुले तौर पर’ काम कर रहे हैं।
उनकी यह टिप्पणी तब आई जब उनसे पूछा गया कि क्या भारत अपने सहयोगियों को पाकिस्तान और पहलगाम हमले में शामिल आतंकवादियों के बीच संबंधों के बारे में समझाने में सक्षम रहा।
विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘कोई भी व्यक्ति जो अंधा नहीं है, वह देख सकता है कि आतंकवादी संगठन पाकिस्तान के शहरों और कस्बों से खुलेआम गतिविधियां संचालित कर रहे हैं। यह कोई रहस्य नहीं है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवादी सूची पाकिस्तान के नामों और स्थानों से भरी हुई है, और ये वही स्थान हैं, जिन्हें हमने निशाना बनाया है। इसलिए कृपया यह न सोचें कि पर्दे के पीछे ही कुछ चल रहा है।’’
जयशंकर ने कहा, ‘‘पाकिस्तान में आतंकवाद एक बहुत ही खुला व्यवसाय है। एक ऐसा व्यवसाय जिसे सरकार द्वारा समर्थित, वित्तपोषित, संगठित और इस्तेमाल किया जाता है… और उनकी सेना द्वारा भी।’’
विदेश मंत्री नीदरलैंड, डेनमार्क और जर्मनी की अपनी तीन देशों की यात्रा के तीसरे और अंतिम चरण में बर्लिन में थे।
पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद भारत की प्रतिक्रिया पर जयशंकर ने कहा कि नई दिल्ली ने आतंकवादियों को स्पष्ट संकेत दिया है कि इस तरह के हमलों को अंजाम देने के लिए कीमत चुकानी होगी। उन्होंने कहा, ‘‘इसके बाद पाकिस्तानी सेना ने गोलीबारी शुरू कर दी। हमने आत्मरक्षा में जवाबी गोलीबारी की और जब पाकिस्तानियों को समझ में आ गया कि वे खतरनाक रास्ता अपना रहे हैं, तो हम गोलीबारी रोकने में सक्षम हो गए।’’
क्या 10 मई को भारतीय और पाकिस्तानी सेनाओं के बीच सैन्य कार्रवाई रोकने पर बनी सहमति के लिए अमेरिका को धन्यवाद दिया जाना चाहिए, इस प्रश्न पर जयशंकर ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के सैन्य कमांडरों के बीच ‘प्रत्यक्ष संपर्क’ के माध्यम से इस पर सहमति बनी थी।
उन्होंने कहा कि भारत ने पाकिस्तान के मुख्य एयर बेस और वायु रक्षा प्रणालियों पर प्रभावी ढंग से हमला किया और उन्हें निष्क्रिय कर दिया, जिससे पड़ोसी देश को संघर्ष समाप्त करने के लिए मजबूर होना पड़ा। उन्होंने कहा, ‘‘मैं भारतीय सेना को धन्यवाद देता हूं क्योंकि यह भारतीय सैन्य कार्रवाई ही थी जिसने पाकिस्तान को यह कहने पर मजबूर किया: हम इसे रोकने के लिए तैयार हैं।’’
इस सवाल पर कि क्या चीन ने पाकिस्तान के साथ भारत के संघर्ष में भूमिका निभाई, जयशंकर ने कहा, ‘‘पाकिस्तान के पास मौजूद कई हथियार प्रणालियां चीन निर्मित हैं और दोनों देश बहुत करीब हैं। आप इससे अपने निष्कर्ष निकाल सकते हैं।’’
यह पूछे जाने पर कि भारत और जर्मनी अपने रणनीतिक संबंधों के बावजूद यूक्रेन में रूस के युद्ध पर अपनी स्थिति में सामंजस्य क्यों नहीं बना पाए हैं, जयशंकर ने कोई सीधा जवाब नहीं दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘यूरोप में आपके लिए अन्य चिंताएं महत्वपूर्ण हैं, एशिया में मेरे लिए दूसरी चिंताएं हैं। जब आप संघर्ष के बारे में सोचते हैं, तो आप यूक्रेन के बारे में सोचते हैं। जब मैं संघर्ष के बारे में सोचता हूं, तो पाकिस्तान, आतंकवाद, चीन और हमारी सीमाओं के बारे में सोचता हूं। हमारा नजरिया एक समान नहीं हो सकता।’’
भाषा वैभव सुरेश
सुरेश

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