न्यायालय ने विशेष अदालतों के लिए नया ढांचा स्थापित नहीं करने पर केंद्र और महाराष्ट्र सरकार की खिंचाई की

न्यायालय ने विशेष अदालतों के लिए नया ढांचा स्थापित नहीं करने पर केंद्र और महाराष्ट्र सरकार की खिंचाई की

न्यायालय ने विशेष अदालतों के लिए नया ढांचा स्थापित नहीं करने पर केंद्र और महाराष्ट्र सरकार की खिंचाई की
Modified Date: July 18, 2025 / 05:42 pm IST
Published Date: July 18, 2025 5:42 pm IST

नयी दिल्ली, 18 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को मौजूदा अदालतों को विशेष अदालतें नामित करने पर केंद्र और महाराष्ट्र सरकार की खिंचाई की। न्यायालय ने विशेष मामलों के लिए नयी अदालतें स्थापित करने के लिए कहा।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने केंद्र और महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल राजकुमार भास्कर ठाकरे को सूचित किया कि यदि मौजूदा अदालतों को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) अधिनियम के तहत दर्ज मुकदमों के लिए विशेष अदालतों के रूप में नामित किया जाता है, तो वर्षों से जेल में बंद विचाराधीन कैदियों, वरिष्ठ नागरिकों, हाशिए पर रह रहे तबके के लोगों और वैवाहिक विवादों के मामलों में देरी होगी।

शीर्ष अदालत ने जोर दिया कि यह समय की दरकार है कि अधिक बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जाए, न्यायाधीशों और कर्मचारियों की नियुक्ति की जाए और सरकार द्वारा पदों को मंजूरी दी जाए।

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पीठ ने कहा, ‘‘अगर अतिरिक्त अदालतें नहीं स्थापित की गईं, तो अदालतें विशेष कानूनों के तहत आरोपों का सामना कर रहे अभियुक्तों को जमानत देने के लिए मजबूर होंगी, क्योंकि मुकदमों के शीघ्र निपटारे के लिए कोई प्रभावी तंत्र नहीं है।’’

केंद्र और महाराष्ट्र सरकार को एनआईए, मकोका और यूएपीए जैसे विशेष कानूनों के तहत विशेष अदालतें स्थापित करने के लिए एक उचित प्रस्ताव तैयार करने का अंतिम अवसर दिया गया। उन्हें चार सप्ताह बाद अदालत के निर्देशों पर जवाब देना होगा।

शीर्ष अदालत ने 23 मई को एनआईए मामलों के लिए समर्पित अदालतों की आवश्यकता पर जोर दिया था।

इसने कहा कि एनआईए को सौंपे गए मामले जघन्य प्रकृति के थे, जिनका प्रभाव पूरे भारत में था और ऐसे प्रत्येक मामले में सैकड़ों गवाह थे और मुकदमा अपेक्षित गति से आगे नहीं बढ़ पाया, क्योंकि अदालत के पीठासीन अधिकारी अन्य मामलों में व्यस्त थे।

शीर्ष अदालत ने आगे कहा कि एकमात्र उचित उपाय विशेष अदालतों का गठन करना है, जहां केवल विशेष कानूनों से संबंधित मामलों की सुनवाई दिन-प्रतिदिन की जा सके।

शीर्ष अदालत महाराष्ट्र के गडचिरोली के एक नक्सल समर्थक कैलाश रामचंदानी की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

वर्ष 2019 में ‘परिष्कृत विस्फोटक उपकरण’ (आईईडी) के जरिये किए गए धमाके में त्वरित प्रतिक्रिया दल के 15 पुलिसकर्मियों के मारे जाने के बाद कैलाश पर पर मामला दर्ज किया गया था।

भाषा संतोष रंजन दिलीप

दिलीप


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