अदालत ने ओडिशा सरकार से प्रवासी श्रमिकों को हिरासत में लेने के दावे पर हलफनामा दाखिल करने को कहा

अदालत ने ओडिशा सरकार से प्रवासी श्रमिकों को हिरासत में लेने के दावे पर हलफनामा दाखिल करने को कहा

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  • Publish Date - July 23, 2025 / 07:03 PM IST,
    Updated On - July 23, 2025 / 07:03 PM IST

कोलकाता, 23 जुलाई (भाषा) कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बुधवार को ओडिशा सरकार को निर्देश दिया कि वह बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाओं में उन दलीलों के विरोध में हलफनामा दाखिल करे जिनमें कहा गया है कि पश्चिम बंगाल के दो बांग्ला भाषी प्रवासी श्रमिकों को पड़ोसी राज्य में अवैध रूप से हिरासत में रखा गया है।

ओडिशा सरकार ने अदालत के समक्ष इस दलील का पुरज़ोर खंडन किया कि उन्हें अवैध रूप से हिरासत में लिया गया था।

अदालत को बताया गया कि जिन दो प्रवासी मज़दूरों – सैनूर इस्लाम और रकीबुल इस्लाम के खिलाफ बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की गई थी, वे पहले ही अपने घरों को लौट चुके हैं।

याचिकाकर्ताओं के वकील ने आरोप लगाया कि दोनों को ओडिशा में अवैध रूप से हिरासत में रखा गया था और वे मुआवजे के हकदार हैं। ओडिशा के महाधिवक्ता ने इस दलील का खंडन किया।

न्यायमूर्ति तपब्रत चक्रवर्ती की अध्यक्षता वाली पीठ ने ओडिशा सरकार को याचिकाकर्ताओं की दलीलों के विरोध में 20 अगस्त तक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।

याचिकाकर्ताओं को 27 अगस्त तक हलफनामे में ओडिशा सरकार की दलीलों पर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया।

अब मामले की सुनवाई 29 अगस्त को होगी।

ओडिशा के महाधिवक्ता पीतांबर आचार्य ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से अदालत में पेश होकर दलील दी कि जिन लोगों के खिलाफ बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाएं दायर की गई थीं, उनकी कोई गिरफ्तारी नहीं हुई।

उन्होंने अदालत के समक्ष कहा कि विदेशी अधिनियम में निहित कानून नागरिक प्राधिकारियों को उन संदिग्ध व्यक्तियों के संबंध में कुछ कार्रवाई करने का अधिकार देता है जिनकी नागरिकता संदेह में है। उन्होंने कहा कि कोई गिरफ़्तारी नहीं हुई और यह क़ानून के अनुसार दस्तावेज़ों का वैध सत्यापन था, और दावा किया कि यह एक महत्वहीन याचिका है।

आचार्य ने कहा कि ओडिशा सरकार ने इस मामले पर अदालत के समक्ष पहले ही एक वस्तु स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है।

खंडपीठ ने 10 जुलाई को ओडिशा सरकार को निर्देश दिया था कि वह इस बारे में प्रासंगिक दस्तावेज पेश करे कि क्या दोनों को हिरासत में लिया गया था या वे लापता हैं।

ओडिशा सरकार को यह जवाब देने का निर्देश दिया गया कि यदि उन्हें हिरासत में लिया गया तो क्या यह हिरासत किसी अदालत के आदेश के संबंध में थी तथा इसके पीछे क्या आधार थे। ओडिशा सरकार से यह भी पूछा गया कि क्या पश्चिम बंगाल और ओडिशा सरकारों के बीच कोई पत्राचार हुआ?

भाषा आशीष रंजन

रंजन