चंडीगढ़, 27 फरवरी (भाषा) किसानों की विभिन्न मांगों को लेकर केंद्र पर दबाव बनाने के लिए एकजुट होने के उद्देश्य से संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम), एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) के बीच बृहस्पतिवार को हुई चौथी बैठक भी अनिर्णायक रही।
हालांकि, तीनों किसान संगठनों ने कहा कि संयुक्त लड़ाई के लिए उनके प्रयास जारी हैं।
यह एसकेएम, एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और केएमएम के बीच एकजुटता वार्ता का चौथा दौर था, क्योंकि तीनों किसान संगठन पिछले तीन दौर की बैठक में किसी आम सहमति पर पहुंचने में विफल रहे थे।
बृहस्पतिवार को यहां हुई बैठक में एसकेएम की ओर से किसान नेता जोगिंदर सिंह उगराहां, रमिंदर सिंह पटियाला, दर्शन सिंह, झंडा सिंह जेठुके, जंगवीर सिंह चौहान और हरिंदर सिंह लाखोवाल मौजूद थे।
एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और केएमएम का प्रतिनिधित्व सरवन सिंह पंधेर, काका सिंह कोटरा और अभिमन्यु कोहाड़ सहित अन्य ने किया।
बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए एसकेएम नेता उगराहां ने कहा कि तीनों किसान संगठनों के बीच विस्तृत चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि लेकिन तीनों संगठनों के बीच पूर्ण एकजुटता बनाने के लिए कई मुद्दों पर चर्चा की जरूरत है।
उगराहां ने कहा, ‘‘इसलिए हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि अभी पूर्ण एकता संभव नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि न्यूनतम साझा कार्यक्रमों और समन्वित कार्रवाई पर चर्चा हुई।
अन्य किसान नेताओं ने कहा कि बैठक सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई।
केएमएम नेता पंधेर ने कहा कि एसकेएम नेता बैठक के लिए एकजुट होने पर एक दस्तावेज के साथ आए थे। पंधेर ने कहा, ‘‘जब हमने इस पर चर्चा की, तो हमने पाया कि हम इसके कई बिंदुओं पर सहमत नहीं हैं।’’
विशेष रूप से, एसकेएम अन्य दो किसान संगठनों पर कृषि विपणन के लिए राष्ट्रीय नीति के मसौदे को अपनी मांगों में शामिल करने के लिए दबाव डाल रहा है।
एसकेएम, जिसने अब वापस लिये जा चुके तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 2020 के आंदोलन का नेतृत्व किया था, एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और केएमएम के नेतृत्व में चल रहे आंदोलन का हिस्सा नहीं है।
एसकेएम, एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और केएमएम के बीच एकता बनाने के प्रयास पिछले साल फरवरी में विफल हो गए थे।
पिछले साल दिसंबर में एकजुटता के लिए बातचीत उस वक्त शुरू हुई, जब किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सहित अन्य मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठ गए।
इस बीच, किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा कि डल्लेवाल का आमरण अनशन 94वें दिन भी जारी रहा। कोहाड़ ने कहा कि डल्लेवाल को तेज बुखार है और उनका रक्तचाप भी घट-बढ़ रहा है।
एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और केएमएम के बैनर तले किसान, सरकार पर अपनी विभिन्न मांगों को स्वीकार करने के लिए दबाव बनाने को लेकर ‘दिल्ली चलो’ मार्च का नेतृत्व कर रहे हैं, जिसमें फसलों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी भी शामिल है।
प्रदर्शनकारी किसान पिछले साल 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू (शंभू-अंबाला) और खनौरी (संगरूर-जींद) सीमाओं पर डटे हुए हैं, जब सुरक्षा बलों ने उनके दिल्ली मार्च को रोक दिया था।
भाषा सुभाष संतोष
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