These 8 diseases are spreading in the country: भारत में पिछले कुछ हफ्तों से कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। हालांकि अब इस वायरस को पहले की तरह उतना खतरनाक नहीं माना जा रहा है लेकिन कोरोना से उबर चुके लोगों में देखे गए लॉन्ग कोविड सिम्पटम्स और कई बीमारियां नई चुनौती के रूप में सामने आई हैं। लोगों के स्वास्थ्य पर लंबे समय तक कोरोना से पड़ने वाले प्रभाव के बारे में कुछ भी निश्चित तौर पर कह पाना मुश्किल है।
कई रिसर्च में वायरस से हृदय, फेफड़े, गुर्दे और शरीर के अन्य अंगों पर पड़ने वाले प्रभावों का भी जिक्र किया गया है। यह महामारी कई मौजूदा बीमारियों के निदान और इलाज में रुकावट भी बनी है। गतिहीन जीवनशैली कोविड-19 महामारी के एक और दुष्प्रभाव के रूप में हमारे सामने आई जिसके लोग आदी हो गए हैं। कई लोग अभी भी इसके प्रभाव से जूझ रहे हैं जो कई और दुष्प्रभावों को दावत देता है।
क्रॉनिक डिसीस का मतलब ऐसी बीमारियां जो कम से कम एक साल या उससे अधिक समय तक रहती हैं और जिनके लिए लगातार इलाज की जरूरत होती है। डायबिटीज, कैंसर, हृदय रोग और किडनी डिसीस जैसी क्रॉनिक बीमारियां पूरी दुनिया में लोगों की मौतों का प्रमुख कारण हैं।
गुरुग्राम के सीके बिड़ला अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर राजीव गुप्ता कहते हैं,”चिंता, अवसाद, याददाश्त और कॉन्सनट्रेशन से जुड़ी समस्याएं कोरोना के बाद कॉमन हुईं हैं जिससे क्वॉलिटी ऑफ लाइफ खराब हुई है। तनाव, अलग-थलग रहना, कोरोना में करीबियों को खो देना और आर्थिक संकट ने इन बीमारियों को बढ़ाने का काम किया है।”
डॉक्टर प्रजापति ने बताया,”कोविड-19 कई प्रोटीनों को लक्षित करता है इसलिए संक्रमण से कई तरह के कैंसर होने का खतरा बढ़ सकता है। एक हालिया अध्ययन में बताया गया है कि कैसे कोविड-19 वायरस पी53 (ट्यूमर को बनने से रोकना वाला जीन) और इससे संबंधित मार्गों के साथ इंटरैक्ट करता है जिससे कैंसर जैसी बीमारी को बढ़ने से रोकने की क्षमता कमजोर होती है।”
डॉक्टरों के अनुसार,”कई रिसर्च में सामने आए सबूत बताते हैं कि लोगों में हाई ब्लड प्रेशर की समस्या महामारी के स्तर तक पहुंच चुकी है। जर्नल सर्कुलेशन में छपे एक अध्ययन के अनुसार, कोविड महामारी के बाद सभी आयु वर्ग के लोगों के बीच में हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी तेजी से बढ़ी है जो चिंताजनक है।”
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”कोविड-19 के बाद दिल से जुड़ी परेशानियां जैसे दिल का दौरा, स्ट्रोक, इररेगुलर हार्टबीट, हार्ट फेल्योर और ब्लड क्लॉटिंग का खतरा बढ़ सकता है।”
These 8 diseases are spreading in the country: कोरोना लंबे समय तक लगातार खांसी, सांस की तकलीफ, सीने में जकड़न जैसी परेशानियों की भी वजह है। ये कंडीशन्स अस्थमा या क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी पहले से मौजूद सांस की बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए परेशानी बन सकती हैं। कोविड-19 मुख्य रूप से श्वसन प्रणाली को प्रभावित करता है और जो लोग वायरस से उबर चुके हैं, वे लंबे समय तक खांसी, सांस की तकलीफ और थकान जैसी रिस्पायरेटरी डिसीस का अनुभव कर सकते हैं।
COPD से पीड़ित लोगों में सामान्य लोगों की तुलना में कोरोना 19 की वजह से होने वाली सांस और फेफड़ों की परेशानियां होने का रिस्क ज्यादा होता है। सीओपीडी में आपको निमोनिया होने का भी जोखिम बढ़ जाता है। COPD में आपको कोविड-19 के सामान्य लक्षणों के साथ ही उसके गंभीर लक्षणों का भी सामना करना पड़ सकता है, जिससे आपको सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।
डॉ. प्रजापति कहते हैं, “कोविड-19 के कई सर्ववाइवर्स में डायबिटीज समेत कई बीमारियां होने का खतरा ज्यादा होता है।”
कोरोना से पीड़ित लोगों में ऑक्सीजन का ब्लड फ्लो के साथ तालमेल अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाता है। यह स्थिति तब और खराब हो जाती है जब शरीर का इम्यून सिस्टम का सामना किसी वायरस से होता है। नतीजतन वायुमार्ग के आसपास की मांसपेशियां सिकुड़ने लगती हैं। इस दौरान बनने वाले बलगम से खांसी, सीने में दर्द, गला खराब होने जैसी कई परेशानियां हो सकती हैं।
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