तीन स्कूली शिक्षकों ने टीएमसी कार्यकर्ताओं पर धमकाने का आरोप लगाया, भूख हड़ताल समाप्त की

तीन स्कूली शिक्षकों ने टीएमसी कार्यकर्ताओं पर धमकाने का आरोप लगाया, भूख हड़ताल समाप्त की

तीन स्कूली शिक्षकों ने टीएमसी कार्यकर्ताओं पर धमकाने का आरोप लगाया, भूख हड़ताल समाप्त की
Modified Date: April 13, 2025 / 06:29 pm IST
Published Date: April 13, 2025 6:29 pm IST

कोलकाता, 13 अप्रैल (भाषा) तीन स्कूली शिक्षकों ने अपनी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल रविवार को वापस ले ली और आरोप लगाया कि उन्हें तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सदस्यों द्वारा धमकाया जा रहा है।

ये तीनों शिक्षक उन 25,753 व्यक्तियों में शामिल हैं जिनकी नियुक्ति को उच्चतम न्यायालय ने ‘‘अमान्य’’ करार दिया था।

तृणमूल कांग्रेस ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा कि उसने उनके मुद्दे को समर्थन दिया है तथा वह इसके पक्ष में है कि सभी पात्र शिक्षकों को उनकी नौकरी वापस मिले।

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नादिया जिले के नकाशीपारा हाई स्कूल के पूर्व शिक्षक सुमन बिस्वास ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हम इलाके में घूम रहे तृणमूल कार्यकर्ताओं की परोक्ष धमकी के कारण अपनी भूख हड़ताल वापस ले रहे हैं। हालांकि, यहां पुलिस मौजूद है, लेकिन हम घंटों खुले में बैठने में सुरक्षित महसूस नहीं करते।’’

उच्चतम न्यायालय ने राज्य सरकार द्वारा संचालित और सहायता प्राप्त स्कूलों में 25,753 हजार शिक्षण एवं गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति को गत तीन अप्रैल को ‘‘अमान्य’’ करार दिया था।

बिस्वास ने पंकज रॉय और प्रताप कुमार साहा के साथ मिलकर 10 अप्रैल को साल्ट लेक स्थित पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) के कार्यालय आचार्य प्रफुल्ल चंद्र भवन के बाहर भूख हड़ताल शुरू की थी।

बिस्वास ने कहा, ‘‘हमारे मुद्दे पर समर्थन की प्रतिबद्धता जताने वाले लोगों को एकजुट करने के बाद हम भूख हड़ताल फिर से शुरू करेंगे। हम पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन भी तेज करेंगे। हम तब तक चैन से नहीं बैठेंगे जब तक कि डब्ल्यूबीएसएससी योग्यता के आधार पर नियुक्ति पाने वाले और रिश्वत देकर नियुक्ति पाने वाले अभ्यर्थियों की सूची प्रकाशित नहीं कर देता।’’

शिक्षकों ने अपनी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल नारियल पानी पीकर समाप्त की, जो उन्हें एक नागरिक अधिकार कार्यकर्ता ने दिया।

तृणमूल छात्र परिषद अध्यक्ष त्रिनंकुर भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘पार्टी या उसकी शाखाएं आंदोलनकारी शिक्षकों को डराने या धमकाने में लिप्त नहीं हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘वे इस मुद्दे का राजनीतिकरण कर रहे हैं और टीएमसी को दोषी ठहरा रहे हैं, जिसने उनके मुद्दे को समर्थन भी दिया है। यह देखा जाना चाहिए कि वे मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) या भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के इशारे पर काम कर रहे हैं या नहीं।’’

भाषा अमित संतोष

संतोष


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