बाघ रिजर्व: उच्चतम न्यायालय ने गोवा के महादेई-कोटिगांव क्षेत्र में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया

बाघ रिजर्व: उच्चतम न्यायालय ने गोवा के महादेई-कोटिगांव क्षेत्र में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया

बाघ रिजर्व: उच्चतम न्यायालय ने गोवा के महादेई-कोटिगांव क्षेत्र में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया
Modified Date: September 8, 2025 / 04:57 pm IST
Published Date: September 8, 2025 4:57 pm IST

नयी दिल्ली, आठ सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को गोवा के महादेई-कोटिगांव क्षेत्र में यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दिया, जिसे राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने बाघों के लिए आरक्षित क्षेत्र के रूप में चिह्नित किया था।

प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई, न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति अतुल एस चंदुरकर की पीठ ने एक अधिकार प्राप्त समिति को इस मामले में हितधारकों की बात सुनने और छह सप्ताह में निर्णय लेने का निर्देश दिया।

पीठ ने इस दौरान कोई भी परियोजना या विकास कार्य शुरू न करने का आदेश दिया।

 ⁠

शीर्ष अदालत ने इससे पहले गोवा सरकार और अन्य द्वारा दायर उस याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई थी, जिसमें मुंबई उच्च न्यायालय द्वारा राज्य को महादेई वन्यजीव अभयारण्य और उसके आसपास के क्षेत्रों को तीन महीने के भीतर बाघ रिजर्व के रूप में अधिसूचित करने के आदेश को चुनौती दी गई थी।

न्यायालय ने याचिका पर एनटीसीए और अन्य से जवाब मांगा है।

महादेई वन्यजीव अभयारण्य कर्नाटक से लगे राज्य के पूर्वोत्तर भाग में स्थित है और यह 208 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।

उच्च न्यायालय का फैसला गैर सरकारी संगठन गोवा फाउंडेशन द्वारा दायर एक याचिका पर आया था, जिसमें राज्य सरकार को एनटीसीए के अनुरोध के अनुसार प्रदेश के बाघ रिजर्व को अधिसूचित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।

‘‘महाभारत’’ को उद्धृत करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा था, ‘‘यदि जंगल नहीं होगा, तो बाघ मारे जाएंगे। यदि बाघ नहीं होंगे, तो जंगल नष्ट हो जाएगा। इसलिए, बाघ जंगल की रक्षा करता है और वन रक्षक बाघ की रक्षा करते हैं!’’

भाषा सुभाष दिलीप

दिलीप


लेखक के बारे में