टीएमसी ने राज्यपालों पर उच्चतम न्यायालय के फैसले की सराहना की

टीएमसी ने राज्यपालों पर उच्चतम न्यायालय के फैसले की सराहना की

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  • Publish Date - November 24, 2023 / 10:24 PM IST,
    Updated On - November 24, 2023 / 10:24 PM IST

कोलकाता, 24 नवंबर (भाषा) तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने उच्चतम न्यायालय के उस फैसले की सराहना कि जिसमें कहा गया था कि राज्यपाल बिना कार्रवाई के अनिश्चितकाल के लिए विधेयकों को लंबित नहीं रख सकते।

टीएमसी ने इसे ‘‘भाजपा द्वारा नियुक्त राज्यपालों के लिए एक सबक’’ करार दिया और इस पद को खत्म करने का आह्वान किया। टीएमसी ने कहा कि अब इसका अस्तित्व खत्म करने का समय आ गया है।

उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि राज्यपाल बिना कार्रवाई के अनिश्चितकाल के लिए विधेयकों को लंबित नहीं रख सकते।

न्यायालय ने साथ ही कहा कि राज्य के गैर निर्वाचित प्रमुख के तौर पर राज्यपाल संवैधानिक शक्तियों से संपन्न होते हैं लेकिन वह उनका इस्तेमाल राज्य विधानमंडलों द्वारा कानून बनाने की सामान्य प्रक्रिया को विफल करने के लिए नहीं कर सकते।

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि इस प्रकार की कार्रवाई संवैधानिक लोकतंत्र के उन बुनियादी सिद्धांतों के विपरीत होगी जो शासन के संसदीय स्वरूप पर आधारित हैं।

उच्चतम न्यायालय के फैसले की सराहना करते हुए टीएमसी सांसद शांतनु सेन ने कहा, ‘‘हम उच्चतम न्यायालय को इस फैसले के लिए धन्यवाद देते हैं और यह मानते हैं कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा नियुक्त राज्यपालों को इससे सबक लेना चाहिए और लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई राज्य सरकारों के कामकाज में हस्तक्षेप करना बंद करना चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा गैर-भाजपा दलों के नेतृत्व वाली राज्य सरकारों को परेशान करने के लिए राज्यपालों का असंवैधानिक तरीके से इस्तेमाल कर रही है।’’

सेन ने राज्यपाल के पद को खत्म करने की भी वकालत करते हुए कहा, ‘‘इस पद को खत्म कर दिया जाना चाहिए। इससे न केवल केंद्र का हस्तक्षेप रुकेगा बल्कि जनता के पैसे की बर्बादी भी रुकेगी।’’

टीएमसी के रुख के जवाब में विपक्षी दल भाजपा ने पार्टी पर असंवैधानिक आचरण का आरोप लगाया।

भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘टीएमसी ऐसा व्यवहार कर रही है जैसे कि बंगाल भारत का हिस्सा नहीं है। टीएमसी सरकार पिछले कुछ वर्षों से राज्यपाल के साथ सहयोग नहीं कर रही है।’’

भाषा

देवेंद्र माधव

माधव