बेटे की लाश बैग में रखकर बस में 200 किमी का सफर, अभागे पिता के पास नहीं थे एम्बुलेंस के पैसे
Traveling with son's dead body बच्चें की लाश को बैग में रखकर बस में 200 किमी का सफर, अभागे पिता के पास नहीं थे एम्बुलेंस के पैसे
Traveling with son's dead body
Traveling with son’s dead body: पश्चिम बंगाल में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया हैं। यहाँ एक अभागे पिता के पास एम्बुलेंस के पैसे नहीं थे लिहाजा उसने मृत बच्चें की लाश को बैग में भरकर बस में 200 किलोमीटर तक का सफर किया। इसके बाद पिता ने बेटे की लाश का कफ़न-दफ़न किया। पूरा मामला वेस्ट बंगाल के सिलीगुड़ी का हैं जहाँ बच्चे ने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया था, वही उसका घर कालियागंज में हैं जहाँ अंतिम संस्कार किया गया। बकौल पिता जब उसने एम्बुलेंस बुक करना चाहा तो उससे 8 हजार रूपये माँगा गया, जो उसके पास नहीं थे।
मीडिया में छपी रिपोर्ट के अनुसार आशीम देबशर्मा प्रवासी मजदूर हैं और पश्चिम बंगाल के मुस्तफानगर ग्राम पंचायत के दंगीपारा गांव में रहते हैं। उनके दो जुड़वा बच्चे गंभीर रूप से बीमार हो गए थे। उन्होंने पहले कलियागंज जिला अस्पताल में बच्चों का इलाज करवाया, जहां से उन्हें रायगंज मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में रेफर कर दिया गया। यहां से फिर उनको नॉर्थ बंगाल मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में ट्रीटमेंट के लिए भेज दिया गया। लेकिन बच्चों की हालत में कोई सुधार नजर नहीं आया और आशीम की पत्नी पिछले गुरुवार को एक बच्चे को लेकर घर वापस लौट गई। इसके बाद शनिवार को इलाज के दौरान दूसरे बच्चे की अस्पताल में मृत्यु हो गई।
Ambulance asked for Rs 8000
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Traveling with son’s dead body: बच्चे का शव घर वापस ले जाने के लिए आशीम ने नॉर्थ बंगाल मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल की एंबुलेंस के लिए बात की तो उन्हें 8000 रुपये भुगतान करने के लिए कहा गया। उनके पास इतने पैसे नहीं थे इसलिए मजबूर होकर उन्हें एक प्राइवेट बस से बच्चे के शव को बैग में डालकर ले जाना पड़ा। पहले वह बस से सिलीगुडी से रायगंज तक गए और उसके बाद कलियागंज अपने घर तक के लिए दूसरी बस ली। कालियागंज के विवेकानंद चौराहे पर पहुंचकर आशीम देबशर्मा ने मदद मांगी और एंबुलेंस का इंतजाम किया।

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