Triple Talaq : महिला ने पहले तलाक में ससुर से करवाया हलाला, फिर दूसरे तलाक में देवर से करने पर किया मजबूर, जानें पूरा मामला..
Triple Talaq Story: लखनऊ के बाद अब बरेली की महिलाओं ने हलाला व तीन तलाक के खिलाफ आवाज उठाना शुरू कर दिया है।
Triple Talaq Story
Triple Talaq Story : तीन तलाक का दर्द पहले से क्या कम था कि हलाला के जख्म ने महिलाओं को तोड़ना शुरू कर दिया है। कभी ससुर, देवर तो कभी मौलवी के साथ हलाला का दर्द सह चुकी महिलाएं इंसाफ की आस में बुधवार को राज्य अल्पसंख्यक आयोग पहुंची। सबसे खास बात यह कि लखनऊ के बाद अब बरेली की महिलाओं ने हलाला व तीन तलाक के खिलाफ आवाज उठाना शुरू कर दिया है। स्वयं सेवी संस्था की फरहत नकवी व तीन तलाक पीड़ित निदा खान समेत आधा दर्जन महिलाओं ने आयोग के अध्यक्ष तनवीर हैदर उस्मानी को हलफनामा देकर इन कुरितियों को खत्म करने की मांग की।
Triple Talaq Story : मेरी शादी 2009 में बरेली में हुई थी। मामूली बात को लेकर पति ने 2011 में मुझे तीन तलाक दे दिया। सुलह के बाद पति मुझे रखने को तैयार हो गया लेकिन शर्त रखी गई के पहले ससुर जलील हुसैन के साथ हलाला करो। हलाला के बाद मुझे मेरे पति ने 5 साल साथ रखा और फिर तलाक दे दिया। अब साथ रखने के लिए देवर से हलाला करने का दबाव बनाया जा रहा है। अपना दर्द बयां करते-करते बरेली की शबीना की आंखे भर आईं। शबीना का कहना है कि जो दर्द वह सह रही हैं। उसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है। सरकार अगर इन महिलाओं के दर्द के प्रति गंभीर है तो तीन तलाक से जुड़ा बिल जल्द से जल्द पास करें।
तलाक की वजह बनी बेटियां
बरेली की बेबी अफरोज बताती है कि उनकी शादी 2010 में हारुन के साथ हुई थी। शादी के बाद उनको एक बेटी हुई तो परिवारवालों के मुंह बन गए। कुछ साल जब दूसरी बेटी हुई तो मानो जुल्म के पहाड़ टूट पड़े। मारपीट की घटना रोज की बात हो गई। 2016 में मेरे पति ने मुझे तीन तलाक दे दी। परिवारजन बीच में पड़े तो वह मुझे रखने को तैयार हो गया लेकिन पति ने एक शर्त रख दी कि पहले मुझे अपने ससुर बदरुद्दीन के साथ हलाला करना पड़ेगा। अफरोज पति की शर्त के आगे नहीं झुकी। उन्होंने पुलिस केस कर दिया। इसके बाद भी उनको इंसाफ नहीं मिला।
घर में बेटी की लाश पिता ने कर ली दूसरी शादी
बरेली से आई रहीमा खातून का दर्द उनके आंसू ही बयान कर दे रहे थे। बेटी की मौत और तीन तलाक के जख्म ने उनको पूरी तरह से तोड़ दिया था। रहीमा बताती है कि मेरे पति ने अपनी बेटी का जनाजा उठने का इंतजार भी नहीं किया और मुझे तीन तलाक देकर दूसरी शादी कर ली। रहीमा ने बताया कि उनकी एक साल की बेटी कैंसर से पीड़ित थी। पति ने इलाज में मदद करने से इंकार कर दिया। उसको खून चढ़वाने के पैसों के लिए भी मुझे मिन्नतें करना पड़ती थी। हद तो यह हो गई कि जिस दिन बेटी की मौत हुई। उसी दिन मेरे पति ने दूसरी शादी कर ली। इंसाफ के लिए पुलिस प्रशासन सबके चक्कर लगाए लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
तीन साल की शादी में हुआ तलाक
पंजाब की रहने वाली रंजीता कौर का इस्लाम धर्म की ओर रूझान बढ़ा तो उन्होंने इस्लाम धर्म कुबूल कर अपने दो बच्चों के साथ बरेली में रहना शुरू कर दिया। 2001 में उन्होंने बरेली के ही एक युवक से शादी कर ली लेकिन उनकी शादी तीन साल भी नहीं टिक पाई। दहेज की प्रताड़ना के बाद उनके पति ने 2004 में तीन तलाक दे दिया। बुधवार को वह भी अल्पसंख्यक आयोग पहुंची और इंसाफ दिलाए जाने की मांग उठाई।

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