BJP Muslim National Vice Presidents
BJP Muslim National Vice Presidents: भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष JP नड्डा ने अपनी नई टीम की घोषणा की है। नड्डा की टीम में दो नाम ऐसे हैं, जिनका नाम सुनकर लोग हैरत में पड़ गए हैं। इसके पहले कि हम आगे बढ़ें आपको बता दें कि लोकसभा और राज्यसभा में बीजेपी के एक भी मुस्लिम सांसद नहीं हैं। ऐसे में बीजेपी ने अपने पार्टी में दो मुस्लिम राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाए हैं। इनमें से एक अब्दुल्ला कुट्टी और एक अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व चांसलर तारिक मंसूर हैं।
भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री @JPNadda ने निम्नलिखित केंद्रीय पदाधिकारियों के नामों की घोषणा की है- pic.twitter.com/0aaArxHF30
— BJP (@BJP4India) July 29, 2023
अब सवाल उठ रहे हैं कि चुनाव में मुस्लिमों को टिकट देने से बचने वाली BJP अब उन्हें पार्टी में जगह क्यों दे रही है? इससे पहले यह जानना जरूरी है कि ये दोनों मुस्लिम नेता कौन है? अब्दुल्ला कुट्टी को भाजपा ने आज अपना राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किया हैं। कुट्टी मूल रूप से केरल के निवासी हैं। इसके साथ ही वह लोकसभा में सांसद भी रह चुके हैं। फिलहाल वह भारतीय हज समिति के अध्यक्ष हैं। वह लंबे समय से पार्टी से जुड़े हुए हैं। पार्टी दक्षिण भारत में खुद को मजबूत करने की कोशिश कर रही है। इस दौरान उसे वहां एक मजबूत मुस्लिम नेता की जरूरत है। ऐसे में कुट्टी पार्टी की पहली पसंद हैं।
इनके अलावा अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर तारिक मंसूर को भी बीजेपी ने आज अपना नया राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया है। वह पद्म सम्मान देने वाली स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्य भी रह चुके हैं। मंसूर को भाजपा ने इसी साल उत्तर प्रदेश विधान परिषद का सदस्य बनाया था। दरअसल मंसूर को पहले MLC फिर केंद्रीय पदाधिकारी बनाए जाने के पीछे बीजेपी की पसमांदा मुसलमानों को पार्टी से जोड़ने की नीति को कारण बताया जा रहा है। मंसूर कुरैशी बिरादरी के मुसलमान हैं।
बता दें कि भाजपा लोकसभा चुनाव से पहले मुसलमानों को अपने साथ जोड़ने की कोशिश कर रही है। भाजपा को अब भी देश के मुसलमान खुद का विरोधी पाते हैं। मुसलमानों का मानना है कि भाजपा सरकार में उनके साथ ज्यादती होती है। पार्टी अपनी इसी छवि को तोड़ना चाहती है। बीजेपी का मानना है कि केंद्र सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का ज्यादातर लाभ पसमांदा मुसलमानों को मिलता है। अगर वह साथ आ गए तो चुनाव जीतने में आसानी हो जाएगी। 2019 में देखा गया कि पार्टी कुछ सीटों पर मामूली वोट के अंतर से हार गई थी और वहां पिछड़े समाज के मुस्लिम निर्णायक भूमिका में रहे थे।