उइके के मारे जाने से ओडिशा में माओवादी गतिविधियों की कमर टूट गई है : डीजीपी

उइके के मारे जाने से ओडिशा में माओवादी गतिविधियों की कमर टूट गई है : डीजीपी

उइके के मारे जाने से ओडिशा में माओवादी गतिविधियों की कमर टूट गई है : डीजीपी
Modified Date: December 25, 2025 / 09:29 pm IST
Published Date: December 25, 2025 9:29 pm IST

भुवनेश्वर, 25 दिसंबर (भाषा) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के कुख्यात उग्रवादी गणेश उइके (69) के ओड़िशा में कमान संभालने के एक साल से भी कम समय के भीतर सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे जाने के बाद प्रदेश में नक्सली गतिविधियों की कमर टूट गयी है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बृहस्पतिवार को इसकी जानकारी दी।

अधिकारियों ने बताया कि भाकपा (माओवादी) के केंद्रीय समिति सदस्य उइके को राम्भा वन क्षेत्र में गंजाम जिले की सीमा से लगे चकपद पुलिस थाना क्षेत्र में घने जंगल में सुरक्षाकर्मियों ने मार गिराया गया।

उन्होंने बताया कि उसपर 1.1 करोड़ रुपये का इनाम था।

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इस अभियान से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उइके अपने तीन साथियों के साथ मौजूद था, लेकिन अचानक हुई कार्रवाई में मारा गया।

अधिकारी ने बताया कि कंधमाल में भीषण ठंड पड़ी रही है और जंगल में तापमान तीन डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था, एवं इस मौसम ने संभवतः सुरक्षा बलों को समूह को निष्क्रिय करने में मदद की।

उइके ने दिसंबर 2024 में ओडिशा संचालन का कार्यभार संभाला था, इससे पहले वह कर्नाटक-केरल-तमिलनाडु दक्षिण क्षेत्रीय ब्यूरो का प्रमुख था।

अधिकारियों ने बताया कि उइके को 2020 में केंद्रीय समिति में पदोन्नत किया गया था और उसने नवंबर 2024 तक छत्तीसगढ़ में काम किया था।

उन्होंने बताया कि उइके को पक्का हनुमंतु, राजेश तिवारी, चमरू और रूपा सहित विभिन्न नामों से जाना जाता था और वह तेलंगाना के नलगोंडा जिले के चेंदुर मंडल के अंतर्गत पुल्लेमाला गांव का मूल निवासी था।

फरवरी में उसने शीर्ष नक्सली नेता सब्यसाची पांडा के पूर्व क्षेत्रों में माओवादी गतिविधियों को पुनर्जीवित करने के लिए नियमगिरि स्थानीय संगठन दस्ते का पुनर्गठन किया। पांडा मौजूदा समय में बरहामपुर जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है।

उइके ने कठिन इलाकों और स्थलाकृति का लाभ उठाते हुए ज्यादातर कालाहांडी, रायगढ़, कंधमाल, बौध, नयागढ़ इलाकों पर ध्यान केंद्रित किया था।

हालांकि, उसी वन और पहाड़ी इलाके में ओडिशा के विशेष अभियान समूह (एसओजी), जिला रिजर्व बल (डीवीएफ) और केंद्रीय पुलिस रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) जैसी केंद्रीय बलों के सुरक्षाकर्मियों के साथ मुठभेड़ में वह मारा गया।

पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) वाई बी खुरानिया ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘उइके की मौत ने ओडिशा में माओवादी गतिविधियों की कमर तोड़ दी है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘उइके की मौत राज्य में माओवादियों के लिए एक बड़ा झटका है क्योंकि संगठन के पास कोई वरिष्ठ नेता नहीं है। मोदेम बालकृष्ण ने कुछ समय के लिए संगठन में ओडिशा के मामलों को देखा लेकिन 11 सितंबर को छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारा गया।’’

अधिकारियों ने बताया कि लगभग एक दशक तक ओडिशा-छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र गलियारे में सक्रिय रहा उइके सशस्त्र दस्ते के अभियानों, कैडर भर्ती और वन-आधारित गतिविधियों में संलिप्त था।

उन्होंने बताया कि कंधमाल-गंजाम सीमा क्षेत्र में वन संचालन में उनकी विशेषज्ञता विफल रही, जिसके कारण उसे मारा जा सका।

भाषा धीरज रंजन

रंजन


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