उच्चतम न्यायालय से मांगी गई बिना शर्त माफी को व्यापक रूप से प्रकाशित किया गया: आईएमए अध्यक्ष

उच्चतम न्यायालय से मांगी गई बिना शर्त माफी को व्यापक रूप से प्रकाशित किया गया: आईएमए अध्यक्ष

उच्चतम न्यायालय से मांगी गई बिना शर्त माफी को व्यापक रूप से प्रकाशित किया गया: आईएमए अध्यक्ष
Modified Date: July 9, 2024 / 04:56 pm IST
Published Date: July 9, 2024 4:56 pm IST

नयी दिल्ली, नौ जुलाई (भाषा) इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष आर वी अशोकन ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि ‘पीटीआई’ को दिये एक साक्षात्कार के दौरान उनके ‘‘नुकसान पहुंचाने’’ वाले बयान को लेकर शीर्ष अदालत से बिना शर्त मांगी गई उनकी माफी को विभिन्न प्रकाशनों में व्यापक रूप से प्रकाशित किया गया है।

उस साक्षात्कार में उन्होंने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के भ्रामक विज्ञापनों के मामले से संबंधित सवालों का जवाब दिया था।

आईएमए के वकील ने न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ से कहा कि उनके मुवक्किल द्वारा मांगी गई बिना शर्त माफी को आईएमए की वेबसाइट पर एसोसिएशन के मासिक प्रकाशन में प्रकाशित किया गया है। साथ ही, पीटीआई ने भी (खबर में) इसे जारी किया है।

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आईएमए की ओर से पेश वरिष्ठ वकील पी एस पटवालिया ने पीठ ने कहा, ‘‘पिछली बार, मैंने (अशोकन) माफी का हलफनामा दाखिल किया था। अदालत की राय थी कि माफीनामा का साक्षात्कार की तरह ही उपयुक्त प्रचार होना चाहिए…।’’

उन्होंने कहा कि आईएमए का एक मासिक प्रकाशन है, और इसके पहले पृष्ठ पर, एक पूर्ण पृष्ठ वाले विज्ञापन में कहा गया है कि अशोकन ने माफी मांगी है, शीर्ष अदालत के समक्ष खेद व्यक्त किया है और बिना शर्त माफी मांगते हुए अपना हलफनामा दाखिल किया है।

पटवालिया ने कहा कि अगर आईएमए की वेबसाइट खोली जाए तो माफीनामा तुरंत ‘पॉप-अप’ के रूप में नजर आता है।

उन्होंने कहा, ‘‘तीसरी बात यह कि, मैंने ‘पीटीआई’ को माफीनामा भेज दिया है। पीटीआई ने इसे जारी कर दिया है।’’ उन्होंने कहा कि इसे अन्य मीडिया संस्थानों के साथ भी साझा किया गया है।

न्यायमूर्ति कोहली ने पटवालिया से पूछा, ‘‘पीटीआई में आपका माफीनामा कहां है?’’ इस पर उन्होंने पीटीआई द्वारा जारी खबर का हवाला दिया।

उन्होंने कहा कि अशोकन ने अपनी बिना शर्त माफी और इस अदालत के समक्ष व्यक्त किये गये खेद से उसी समाचार एजेंसी को अपने हलफनामे में अवगत कराया है जिसे उन्होंने 29 अप्रैल को साक्षात्कार दिया था।

उन्होंने कहा कि बिना शर्त माफीनामे को विभिन्न समाचार प्रकाशनों में प्रकाशित किया गया।

पीठ ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड की ओर से पेश वरिष्ठ वकील बलबीर सिंह से पूछा कि क्या उन्होंने अशोकन द्वारा दाखिल अतिरिक्त हलफनामा देखा है।

पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘प्रतिवादियों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील बलबीर सिंह का कहना है कि प्रतिवादियों को हलफनामे का अध्ययन करने और सुनवाई की अगली तारीख पर अदालत की सहायता करने की अनुमति दी जा सकती है।’’ इसके बाद पीठ ने कहा कि वह इस मामले की अगली सुनवाई छह अगस्त को करेगी।

पीठ ने इससे पहले 14 मई को सुनवाई के दौरान अशोकन से अदालत के खिलाफ उनके ‘‘नुकसान पहुंचाने’’ वाले बयान को लेकर कुछ कड़े सवाल किये थे।

पीठ ने कहा था, ‘‘आप सोफे पर बैठकर प्रेस को साक्षात्कार देकर अदालत की खिल्ली नहीं उड़ा सकते।’’

शीर्ष अदालत में मामले की सुनवाई शुरू होने से एक दिन पहले, अशोकन की टिप्पणियों पर नाराजगी व्यक्त करते हुए पीठ ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड द्वारा दायर एक आवेदन पर उनकी प्रतिक्रिया मांगी थी, जिसमें अदालत से उनके द्वारा दिए गए बयानों पर न्यायिक तौर पर गौर करने का आग्रह किया गया था।’’

आईएमए अध्यक्ष ने 29 अप्रैल को पीटीआई के संपादकों के साथ बातचीत में कहा था कि यह ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ है कि उच्चतम न्यायालय ने एसोसिएशन और निजी चिकित्सकों की कुछ ‘प्रैक्टिस’ की आलोचना की।

शीर्ष अदालत 2022 में आईएमए द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही है जिसमें पतंजलि पर कोविड-19 टीकाकरण अभियान और चिकित्सा की आधुनिक प्रणालियों के खिलाफ दुष्प्रचार अभियान चलाने का आरोप लगाया गया है।

भाषा संतोष सुभाष

सुभाष


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