गृह मंत्री के विधेयक पेश करने के दौरान लोकसभा में जोरदार हंगामा, कार्यवाही तीन बजे तक स्थगित
गृह मंत्री के विधेयक पेश करने के दौरान लोकसभा में जोरदार हंगामा, कार्यवाही तीन बजे तक स्थगित
( तस्वीर सहित )
नयी दिल्ली, 20 अगस्त (भाषा) लोकसभा में सरकार ने दूरगामी परिणामों वाले एक संविधान संशोधन को पेश करने का प्रस्ताव रखा जिसमें प्रधानमंत्री, मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों को गंभीर अपराध के आरोपों में पद से हटाने का प्रावधान है किंतु इस पर विपक्ष के विरोध और भारी हंगामे के कारण सदन की बैठक करीब 45 मिनट के लिए अपराह्न तीन बजे तक स्थगित कर दी गई।
सदन की बैठक दो बार के स्थगन के बाद दो बजे शुरू हुई तो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ‘संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025’, ‘संघ राज्य क्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक, 2025’ और ‘जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025’ पेश किए जाने का प्रस्ताव रखा।
विपक्ष की ओर से एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस के मनीष तिवारी और केसी वेणुगोपाल, आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन और समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव ने विधेयकों को पेश किए जाने का विरोध किया।
उन्होंने यह भी कहा कि नियमों के अनुसार सात दिन पहले विधेयक पेश करने का नोटिस सदस्यों को नहीं दिया गया और इसकी प्रतियां भी समय पर नहीं वितरित की गईं।
जब प्रेमचंद्रन ने कहा कि तीनों विधेयकों को सदन में पेश करने की सरकार को इतनी हड़बड़ी क्यों है?
इस पर गृह मंत्री शाह ने कहा कि प्रेमचंद्रन जल्दबाजी की बात कर रहे हैं, लेकिन ‘‘इसका सवाल इसलिए नहीं उठता क्योंकि मैं इस विधेयक को संसद की संयुक्त समिति को सौंपने का अनुरोध करने वाला हूं। संयुक्त समिति जो लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों, पक्ष और विपक्ष के सदस्यों की बनेगी और इस पर विचार करके विधेयक को आपके सामने लाएगी।’’
इसके बाद कांग्रेस सांसद वेणुगोपाल ने आसन की अनुमति से बोलते हुए कहा कि भाजपा के लोग कह रहे हैं कि यह विधेयक राजनीति में शुचिता लाने के लिए लाया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘क्या मैं गृह मंत्री से पूछ सकता हूं कि जब वह गुजरात के गृह मंत्री थे, उन्हें गिरफ्तार किया गया था तब क्या उन्होंने नैतिकता का ध्यान रखा था?’’
गृह मंत्री ने वेणुगोपाल के बयान पर जवाब देते हुए कहा, ‘‘मैं रिकॉर्ड स्पष्ट करना चाहता हूं। मैंने गिरफ्तार होने से पहले नैतिकता के मूल्यों का हवाला देकर इस्तीफा भी दिया और जब तक अदालत से निर्दोष (साबित) नहीं हुआ, तब तक मैंने कोई संवैधानिक पद स्वीकार नहीं किया।’’
शाह ने कहा, ‘‘ये हमें क्या नैतिकता सिखाएंगे। मैं तो इस्तीफा देकर गया था। मैं तो चाहता हूं कि नैतिकता के मूल्य बढ़ें। हम ऐसे निर्लज्ज नहीं हो सकते कि हम पर आरोप लगें और हम संवैधानिक पद पर बने रहें। गिरफ्तारी से पहले मैंने इस्तीफा दिया था।’’
इसके बाद शाह ने प्रस्ताव रखा कि ‘संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025’, ‘संघ राज्य क्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक, 2025’ और ‘जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025’ को दोनों सदनों की संयुक्त समिति को विचार के लिए भेजा जाए।
इस दौरान विपक्ष का हंगामा बढ़ गया और कुछ सदस्यों को गृह मंत्री के सामने कागज फाड़कर फेंकते हुए देखा गया।
हंगामे के बीच अध्यक्ष बिरला ने कार्यवाही अपराह्न तीन बजे तक स्थगित कर दी।
इससे पहले एसआईआर के मुद्दे पर सदन की बैठक दो बार स्थगित हुई।
पहली बार कार्यवाही शुरू होने के एक मिनट के अंदर दोपहर 12 बजे तक और फिर 12 बजकर 15 मिनट पर कार्यवाही दोपहर दो बजे तक स्थगित कर दी गई।
भाषा वैभव माधव
माधव

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