उप्र: भीड़ की ओर से हत्या की घटनाओं में न्यायालय के निर्देशानुसार हलफनामा दाखिल करने का आदेश

उप्र: भीड़ की ओर से हत्या की घटनाओं में न्यायालय के निर्देशानुसार हलफनामा दाखिल करने का आदेश

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  • Publish Date - July 14, 2025 / 09:49 PM IST,
    Updated On - July 14, 2025 / 09:49 PM IST

प्रयागराज (उप्र), 14 जुलाई (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के अधिकारियों को भीड़ द्वारा हिंसा या हत्या की घटनाओं की रोकथाम एवं इनसे निपटने के लिए तहसीन एस पूनावाला बनाम केंद्र सरकार के मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा तय दिशानिर्देशों के अनुरूप एक बेहतर हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है।

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ और न्यायमूर्ति अवनीश सक्सेना की खंडपीठ ने मुरादाबाद में गोकशी के संदेह में कथित रूप से भीड़ द्वारा जान से मारे गए 37 वर्षीय एक व्यक्ति के भाई की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह हलफनामा दाखिल करने को कहा।

यह याचिका कथित घटना की जांच एक विशेष जांच दल (एसआईटी) से कराने और मृतक के परिजनों को 50 लाख रुपये मुआवजा दिए जाने के अनुरोध के साथ दायर की गई है।

सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि राज्य सरकार ने तहसीन पूनावाला के मामले में तय किए गए दिशानिर्देशों को लागू नहीं किया। इस दिशानिर्देश में तत्काल प्राथमिकी दर्ज करने, नोडल अधिकारी की निगरानी में जांच कराने, समय पर आरोप पत्र दाखिल करने और पीड़ित को मुआवजा दिए जाने सहित कई उपायों का उल्लेख है।

अदालत ने 10 जुलाई को दिए अपने आदेश में कहा कि जांच अधिकारी ने इस मामले में केवल एक जवाबी हलफनामा दाखिल किया है और राज्य सरकार ने उच्चतम न्यायालय के बाध्यकारी निर्देशों के अनुरूप कदम नहीं उठाए।

अदालत ने कहा कि प्राथमिकी भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 103(2) (भीड़ द्वारा हत्या) के तहत दर्ज की जानी चाहिए थी, जबकि मामला धारा 103(1) (हत्या) के तहत दर्ज किया गया। अदालत ने अगली सुनवाई (पांच अगस्त) तक इस प्राथमिकी में जांच पर रोक लगा दी।

रिट याचिका में याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि उत्तर प्रदेश सरकार उच्चतम न्यायालय के बाध्यकारी निर्देश के बावजूद दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 357ए के प्रावधानों के अनुपालन में भीड़ द्वारा हिंसा के मामले में मुआवजा योजना तैयार करने में विफल रही।

याचिका में अदालत से प्रदेश सरकार को इस मामले में संलिप्त पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया ताकि उनकी जवाबदेही सुनिश्चित हो सके।

उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष 29 दिसंबर की देर रात शाहिदीन और कुछ अन्य लोगों को एक भीड़ ने कथित तौर पर एक गाय को काटते हुए पकड़ लिया। अन्य लोग भागने में कामयाब रहे लेकिन शाहिदीन भाग नहीं सका और भीड़ द्वारा उसे कथित रूप से बुरी तरह पीटा गया जिससे अगले दिन उसकी मौत हो गई।

बाद में मुरादाबाद पुलिस ने शाहिदीन और अन्य के खिलाफ उत्तर प्रदेश गोवध निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया।

भाषा राजेंद्र सिम्मी

सिम्मी