गैंगस्टर अधिनियम मामले में उत्तर प्रदेश के विधायक अब्बास अंसारी को अंतरिम जमानत

गैंगस्टर अधिनियम मामले में उत्तर प्रदेश के विधायक अब्बास अंसारी को अंतरिम जमानत

गैंगस्टर अधिनियम मामले में उत्तर प्रदेश के विधायक अब्बास अंसारी को अंतरिम जमानत
Modified Date: March 7, 2025 / 08:02 pm IST
Published Date: March 7, 2025 8:02 pm IST

नयी दिल्ली, सात मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के विधायक अब्बास अंसारी को राज्य के गैंगस्टर अधिनियम के तहत दर्ज एक मामले में छह सप्ताह की अंतरिम जमानत दे दी।

न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को लखनऊ स्थित अपने सरकारी आवास में रहने का निर्देश दिया और कहा कि उन्हें मऊ में अपने निर्वाचन क्षेत्र का दौरा करने से पहले प्राधिकारियों से अनुमति लेनी होगी।

गैंगस्टर अधिनियम से जुड़े मामले में शीर्ष अदालत से अंतरिम जमानत मिलने से अंसारी की कासगंज जेल से रिहाई का रास्ता साफ हो गया है, क्योंकि उन्हें उनके खिलाफ दर्ज अन्य सभी आपराधिक मामलों में पहले ही जमानत दी जा चुकी है।

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पीठ ने अंसारी से कहा कि वह अदालत की पूर्व अनुमति के बिना उत्तर प्रदेश न छोड़ें और अदालतों में पेश होने से एक दिन पहले पुलिस अधिकारियों को सूचित करें।

शीर्ष अदालत ने लंबित मामलों पर सार्वजनिक रूप से बोलने पर रोक लगाते हुए अंसारी द्वारा जमानत शर्तों का अनुपालन किए जाने के संबंध में पुलिस से छह सप्ताह में स्थिति रिपोर्ट मांगी।

अदालत ने कहा कि अंसारी को मामले की सुनवाई कर रही चित्रकूट सत्र अदालत में जमानत बांड पेश करने की शर्त पर जेल से रिहा किया जाना चाहिए।

अंसारी को अन्य आपराधिक मामलों में चार नवंबर 2022 को हिरासत में लिया गया था, लेकिन उन्हें छह सितंबर 2024 को गैंगस्टर अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था।

पीठ ने कहा कि उन्हें गैंगस्टर अधिनियम के मामले को छोड़कर सभी आपराधिक मामलों में जमानत दे दी गई थी।

अंसारी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि उच्च न्यायालय ने पिछले वर्ष गैंगस्टर अधिनियम के तहत उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द कर दिया था, लेकिन पुलिस को यह स्वतंत्रता दी थी कि यदि उनके खिलाफ सबूत हों, तो वह अन्य प्राथमिकी दर्ज कर सकती है।

उन्होंने कहा कि पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर ली और पिछली प्राथमिकी में मौजूद बातों को ही बरकरार रखा।

सिब्बल ने कहा, ‘‘समय-समय पर अदालतों ने या तो अंसारी के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द कर दिया या उन्हें उन पर दर्ज मामलों में जमानत दे दी। इससे पता चलता है कि राज्य सरकार ने अंसारी के खिलाफ किस स्तर का मुकदमा चलाया।’’

पीठ ने कहा कि आपराधिक मामलों में जमानत देने का मतलब यह नहीं है कि अभियोजन पक्ष ने अपना काम ठीक से नहीं किया।

सिब्बल ने कहा कि उत्तर प्रदेश गैंगस्टर अधिनियम से जुड़े मामले में कोई स्वतंत्र गवाह नहीं है और केवल पुलिसकर्मी आधिकारिक गवाह हैं, जिन्होंने उच्च न्यायालय द्वारा खारिज की गई प्राथमिकी में कही गई कहानी के समान ही कहानी दोहराई।

उन्होंने कहा, ‘‘इस मामले में गवाहों, जो पुलिसकर्मी हैं, को प्रभावित करने या धमकाने का कोई सवाल ही नहीं है।’’

सिब्बल ने अंसारी की ओर से जवाब दिया, ‘‘मैं जेल के अंदर हूं और मुझे पता है कि अगर मैंने मामले से जुड़े किसी भी पुलिसकर्मी को धमकी दी तो क्या होगा।’’

उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने अंसारी की जमानत याचिका का विरोध किया और कहा कि मामले में अभियोजन पक्ष के दो-तीन गवाहों से जिरह होने तक उन्हें कम से कम बाहर आने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

पीठ ने पूछा कि वह कितने समय तक हिरासत में रह सकते हैं।

उसने कहा, ‘‘एक तरफ, अदालत अभियोजन पक्ष पर मुकदमे में तेजी लाने के लिए दबाव नहीं डालना चाहती। मामले की जल्दबाजी में सुनवाई करने से अक्सर पीड़ित को न्याय नहीं मिल पाता। हमें हितों के बीच संतुलन बनाने की जरूरत है।’’

सिब्बल ने कहा कि अंसारी राष्ट्रीय स्तर के निशानेबाज रह चुके हैं।

न्यायमूर्ति सूर्य कांत ने मजाकिया लहजे में सिब्बल से कहा कि आपराधिक मामले में उनका बखान न करें, अन्यथा इसका कुछ और मतलब हो सकता है।

अंसारी ने 31 जनवरी को मुठभेड़ के डर से गैंगस्टर अधिनियम के तहत दर्ज एक मामले में निचली अदालत की कार्यवाही में डिजिटल रूप से उपस्थित होने का आग्रह किया था।

उन्होंने कहा था कि वह कासगंज की जेल से डिजिटल तरीके से अदालत में पेश हो रहे थे, लेकिन बाद में यह सुविधा बंद कर दी गई।

शीर्ष अदालत ने अंसारी की जमानत याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा था। उसने इस आधार पर डिजिटल सुनवाई का अनुरोध अस्वीकार कर दिया था कि याचिका में कोई निवेदन नहीं किया गया है और सिब्बल से याचिका के साथ उच्च न्यायालय का रुख करने को कहा था।

पिछले साल 18 दिसंबर को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस मामले में अंसारी की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।

अंसारी, नवनीत सचान, नियाज अंसारी, फराज खान और शाहबाज आलम खान के खिलाफ उत्तर प्रदेश गैंगस्टर और असामाजिक गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1986 की धारा दो और तीन के तहत चित्रकूट जिले के कोतवाली कर्वी थाने में 31 अगस्त 2024 को प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इन लोगों पर जबरन वसूली और मारपीट का आरोप है।

भाषा नेत्रपाल पारुल

पारुल


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