उत्तराखंड: बगैर अनुमति हाथियों की अदला-बदली के लिए पूर्व मुख्य वन्यजीव वार्डन पर हो सकती है कार्रवाई

उत्तराखंड: बगैर अनुमति हाथियों की अदला-बदली के लिए पूर्व मुख्य वन्यजीव वार्डन पर हो सकती है कार्रवाई

उत्तराखंड: बगैर अनुमति हाथियों की अदला-बदली के लिए पूर्व मुख्य वन्यजीव वार्डन पर हो सकती है कार्रवाई
Modified Date: August 30, 2025 / 11:26 pm IST
Published Date: August 30, 2025 11:26 pm IST

ऋषिकेश, 30 अगस्त (भाषा) उत्तराखंड के एक पूर्व मुख्य वन्यजीव वार्डन (सीडब्ल्यूडब्ल्यू) को केंद्र की अनुमति का इंतजार किए बिना कॉर्बेट बाघ अभयारण्य में रहने वाले हाथी के चार बच्चों को गुजरात के एक व्यक्ति को कथित तौर पर सौंपकर उसके एवज में उससे चार वयस्क हाथी लेने को लेकर कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी।

उत्तराखंड के वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि केन्द्र सरकार के अधिकारियों को सूचित किए बिना अदला-बदली की अनुमति देने संबंधी पराग मधुकर धकाते का निर्णय एक गंभीर त्रुटि थी।

इस मुद्दे पर अधिकारी का पक्ष जानने के लिए उनसे फोन पर बार-बार संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।

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सूत्रों ने बताया कि अधिकारी की दलील है कि पालतू हाथियों की अदला-बदली का अधिकार मुख्य वन्यजीव वार्डन के पास है।

वन विभाग के सूत्रों ने बताया कि कथित ‘‘अवैध’’ अदला-बदली की जांच की गई और एक रिपोर्ट मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भेजी गई, जिन्होंने इसे आगे की कार्रवाई के लिए मुख्य सचिव को भेज दिया।

सूत्रों ने बताया कि आठ फरवरी 2022 को धकाते ने केंद्र सरकार की मंजूरी का इंतजार किए बिना, गुजरात के जामनगर में राधा कृष्ण मंदिर के महंत जगदीश दास को सीडब्ल्यूडब्ल्यू के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान हाथी के चार बच्चों को ले जाने की मंजूरी दे दी।

पीटीआई के पास, धकाते द्वारा कथित तौर पर लिखा गया वह पत्र है जिसमें दास को हाथी के बच्चों को ले जाने की अनुमति दी गई है।

मंत्री ने कहा हालांकि, धकाते ने स्थानांतरण के लिए अनुमति मांगी, लेकिन उन्होंने केंद्र से जवाब का इंतजार नहीं किया, जिसने अंततः अनुरोध को खारिज कर दिया।

हाथियों के लिए धकाते द्वारा जारी परिवहन परमिट में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि महंत जगदीश दास गुजरात ‘सीडब्ल्यूडब्ल्यू’ को उनकी स्थिति से अवगत कराएंगे और परिवहन के दौरान हाथी के बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे।

हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि हाथियों की अदला-बदली को लेकर धकाते ने इतनी जल्दबाजी क्यों दिखाई।

वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत हाथी संरक्षित जीव हैं और उनके संरक्षण की जिम्मेदारी केंद्र व राज्य सरकारों के बीच साझा की गई है।

भाषा जितेंद्र सुभाष

सुभाष


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