Uttarkashi Tunnel Rescue: टनल में फंसे मजदूरों के लिए भेजे जाएंगे बोर्ड गेम और ताश, जानिए अचानक क्यों लिया गया फैसला
टनल में फंसे मजदूरों के लिए भेजे जाएंगे बोर्ड गेम और ताश, जानिए अचानक क्यों लिया गया फैसला ! Uttarkashi Tunnel Rescue
Today News Live Update 24 November
उत्तरकाशी/देहरादून: Uttarkashi Tunnel Rescue उत्तराखंड के उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में 12 दिन से फंसे 41 श्रमिकों का तनाव दूर करने के लिए बचाव दल ने उन्हें ‘बोर्ड गेम’ और ताश उपलब्ध कराने की योजना बनाई है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। श्रमिकों को निकालने के अभियान में कई व्यवधान आ रहे हैं।बृहस्पतिवार देर रात सुरंग के मलबे के बीच से पाइप डालने के काम को रोकना पड़ा क्योंकि जिस प्लेटफॉर्म पर ड्रिलिंग मशीन टिकी हुई है उसमें दरारें दिखने के बाद ड्रिलिंग रोक दी गई थी। ड्रिलिंग का काम शुक्रवार सुबह भी प्रारंभ नहीं हो सका।
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Uttarkashi Tunnel Rescue बचाव स्थल पर मौजूद मनोचिकित्सक डॉ. रोहित गोंडवाल ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘हम उन्हें (फंसे हुए मजदूर) तनाव दूर करने में मदद के लिए लूडो, शतरंज और ताश उपलब्ध कराने की योजना बना रहे हैं। अभियान में देरी हो रही है और ऐसा लगता है कि कुछ समय और लगेगा।’’ उन्होंने कहा कि सभी 41 श्रमिक ठीक हैं लेकिन उन्हें स्वस्थ और मानसिक रूप से ठीक रहने की जरूरत है। गोंडवाल ने कहा, ‘‘उन्होंने हमें बताया कि वे ‘चोर-पुलिस’ खेलते हैं, तनाव दूर करने के लिए रोजाना योग और व्यायाम करते हैं।’’
इन श्रमिकों के मानसिक स्वास्थ्य पर एक अन्य चिकित्सा विशेषज्ञ ने कहा कि उनका मनोबल ऊंचा रहना चाहिए और उन्हें आशावान रखना चाहिए। चिकित्सकों की एक टीम प्रतिदिन श्रमिकों से बात करती है और उनके स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति के बारे में जानकारी लेती है। बुधवार देर रात ‘ऑगर’ मशीन के रास्ते में आए लोहे के गर्डर को काटने में छह घंटे की देरी के बाद दिन में बचाव अभियान फिर से शुरू होने के कुछ घंटों बाद हालिया बाधा आई।
उत्तराखंड के चार धाम मार्ग में निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा ढह जाने के बाद 12 नवंबर को कई एजेंसियों द्वारा बचाव अभियान शुरू होने के बाद से यह तीसरी बार है कि जब ड्रिलिंग का कार्य रोका गया है। अधिकारियों ने कहा कि बचावकर्मी मलबे को 48 मीटर तक भेदने में कामयाब रहे हैं। हालांकि, फंसे हुए मजदूरों को निकालने के लिए 10 मीटर का रास्ता तय करना बाकी है। उत्तरकाशी और देहरादून के चिकित्सकों और मनोचिकित्सकों सहित एक दर्जन चिकित्सकों की एक टीम घटनास्थल पर मौजूद है। अधिकारियों ने कहा कि टीम के सदस्य फंसे हुए मजदूरों से नियमित रूप से सुबह कम से कम 30 मिनट और शाम के वक्त इतनी ही देर तक बात करते हैं।
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