इंदिरा की हत्या से बहुत दुखी थी, लेकिन समाचार तो पढ़ना ही था : सलमा सुल्तान

इंदिरा की हत्या से बहुत दुखी थी, लेकिन समाचार तो पढ़ना ही था : सलमा सुल्तान

इंदिरा की हत्या से बहुत दुखी थी, लेकिन समाचार तो पढ़ना ही था : सलमा सुल्तान
Modified Date: November 29, 2022 / 08:48 pm IST
Published Date: March 6, 2022 7:09 pm IST

(कुणाल दत्त)

नयी दिल्ली, छह मार्च (भाषा) टीवी के ‘ब्लैक एंड व्हाइट’ दौर से अपने करियर की शुरुआत करने वाली टीवी एंकर सलमा सुल्तान के लिए 31 अक्टूबर, 1984 उनके करियर का सबसे मुश्किल दिन था, जब उन्हें देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या की खबर पढ़नी पड़ी थी।

दूरदर्शन पर प्राइम टाइम में प्रसारित होने वाले समाचार की महत्वपूर्ण एंकर सुल्तान का कहना है कि खबर मिलने पर वह बेहद भावुक हो गयी थीं, लेकिन अपने पेशे का मान रखते हुए उन्होंने बेहद सलीके से अनुशासन के साथ समाचार पढ़ा।

 ⁠

सुल्तान इस महीने 75 साल की हो जाएंगी। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के पहले आयोजित कार्यक्रम ‘वीमेन पावर’ में देश की पहली महिला आईपीएस अधिकारी और पुडुचेरी की पूर्व उपराज्यपाल किरण बेदी ने सुल्तान को सम्मानित किया।

करीब चार दशक पुराने समाचार को याद करते हुए सुल्तान ने कहा, ‘‘दफ्तर में हम सभी सदमे में थे, सभी दुखी थे। लेकिन, न्यूजरूम में, हमें अनुशासन में रहते हुए बिना किसी पक्षपात के समाचार पढ़ना था और मैंने उन हालात में बेहतर प्रदर्शन करने का प्रयास किया।’’

तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके दो अंगरक्षकों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। नयी दिल्ली के 1, सफदरजंग रोड स्थित उनके सरकारी आवास पर 31 अक्टूबर, 1984 की सुबह उन्हें गोली मारी गयी थी।

इंदिरा को तत्काल एम्स, दिल्ली ले जाया गया, लेकिन डॉक्टर उन्हें बचा नहीं सके। देश की पहली महिला प्रधानमंत्री, ‘आयरन लेडी’ की मौत हो गई।

एक कार्यक्रम से इतर पीटीआई-भाषा के साथ साक्षात्कार में सुल्तान ने कहा कि अब वह समाचार नहीं देखती/सुनती हैं।

तेजी से आती खबरों और लगभग हर दूसरे मिनट डिस्प्ले होने वाले ब्रेकिंग न्यूज के दौर में, समाचार प्रस्तुत करने के आज के तौर-तरीकों के संबंध में सवाल करने पर सुल्तान ने कहा, ‘‘वर्तमान में भी एंकर बहुत मेहनत करते हैं। वे वही कर रहे हैं, जो उनसे करने को कहा जाता है। वे सिर्फ एक बड़े तंत्र का हिस्सा हैं।’’

उन्होंने याद किया, ‘‘हमारे दिनों में सभी डीडी पर आना चाहते थे, वह बेहद अनोखा संगठन था। वहां के लोगों ने हमें सिखाया, हम बहुत सुरक्षित थे, सभ्य लोगों से घिर हुए थे।’’

देश को आजादी मिलने से कुछ ही महीनों पहले भोपाल में जन्मीं सुल्तान और कुछ अन्य समाचार प्रस्तोता करीब तीन दशकों तक देश में लोगों तक खबरें पहुंचाने के लिए लोकप्रिय चेहरा रहीं।

हालांकि, सुल्तान का भी मानना है कि आज की पत्रकारिता में सनसनी का बोलबाला हो गया है।

भाषा अर्पणा सुरेश

सुरेश


लेखक के बारे में