नयी दिल्ली, एक अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को एक व्यक्ति की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने निर्वाचन आयोग को उपराष्ट्रपति पद के लिए उसका नामांकन स्वीकार करने का निर्देश दिए जाने का आग्रह किया था।
न्यायमूर्ति यू यू ललित और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की पीठ ने कहा कि वह संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत डॉ. एम तिरुपति रेड्डी द्वारा दायर याचिका को स्वीकार नहीं कर सकती।
अनुच्छेद 32 किसी के अधिकारों को लागू कराने के लिए उपयुक्त कार्यवाही के माध्यम से उच्चतम न्यायालय जाने के अधिकार से संबंधित है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि कानून के अनुसार रेड्डी की उम्मीदवारी का समर्थन एक निश्चित संख्या में सांसदों द्वारा किया जाना चाहिए। इसने कहा कि वह उनकी याचिका पर कोई निर्देश नहीं दे सकती।
पीठ ने कहा, ‘कानून को उस पद के लिए किसी प्रकार के नामांकन की आवश्यकता होती है, हम सांसदों को आपको नामांकित करने के लिए मजबूर नहीं कर सकते। हम ऐसा कैसे कर सकते हैं?’
उपराष्ट्रपति चुनाव में एक उम्मीदवार के रूप में सफल नामांकन के लिए व्यक्ति को प्रस्तावक के रूप में 20 सांसदों और समर्थक के रूप में 20 अन्य सांसदों की आवश्यकता होती है।
पीठ ने कहा, ‘‘डॉ. एम तिरुपति रेड्डी, जो व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए, को सुना। भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर इस याचिका में जिस तरह की राहत का अनुरोध किया गया है, हमारे विचार में, वह प्रदान नहीं की जा सकती। याचिका पूरी तरह से गलत है। इसलिए, खारिज की जाती है।’’
उपराष्ट्रपति पद का चुनाव छह अगस्त को होगा जिसमें सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की ओर से जगदीप धनखड़ और विपक्ष की ओर से मार्गरेट अल्वा उम्मीदवार हैं।
उपराष्ट्रपति के रूप में एम वेंकैया नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त को समाप्त हो रहा है और नए उपराष्ट्रपति 11 अगस्त को शपथ लेंगे।
भाषा नेत्रपाल नरेश
नरेश
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