पश्चिम बंगाल में हिंसा, भ्रष्टाचार प्रमुख चुनौतियां हैं : राज्यपाल बोस

पश्चिम बंगाल में हिंसा, भ्रष्टाचार प्रमुख चुनौतियां हैं : राज्यपाल बोस

पश्चिम बंगाल में हिंसा, भ्रष्टाचार प्रमुख चुनौतियां हैं : राज्यपाल बोस
Modified Date: December 24, 2025 / 05:26 pm IST
Published Date: December 24, 2025 5:26 pm IST

कोलकाता, 24 दिसंबर (भाषा) पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने बुधवार को दावा किया कि हिंसा और भ्रष्टाचार राज्य की दो प्रमुख समस्याएं हैं तथा एक स्वतंत्र, निष्पक्ष और सुरक्षित शैक्षणिक माहौल सुनिश्चित करने के लिए शैक्षणिक संस्थानों के परिसरों को इस तरह के खतरे से मुक्त किया जाना चाहिए।

बोस ने यहां यादवपुर विश्वविद्यालय (जेयू) के 68वें वार्षिक दीक्षांत समारोह के दौरान पत्रकारों से कहा कि यह प्रमुख संस्थान अपनी अकादमिक उत्कृष्टता और प्रतिभाशाली छात्रों के लिए राष्ट्र का गौरव है, लेकिन उन्होंने परिसरों को ‘‘अवांछित तत्वों’’ से मुक्त रखने की आवश्यकता पर जोर दिया।

उन्होंने कहा, “पश्चिम बंगाल इस समय दो समस्याओं हिंसा और भ्रष्टाचार का सामना कर रहा है, जिनका समाधान आवश्यक है। हमें एक सुरक्षित और निष्पक्ष शैक्षणिक माहौल सुनिश्चित करना होगा। परिसरों को हिंसा के खतरे से मुक्त करना होगा।”

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इस वर्ष और 2023 में परिसर में दो स्नातक छात्रों की अप्राकृतिक मौत के बारे में पूछे जाने पर, राज्यपाल ने कहा कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए परिसर में किसी भी बाहरी व्यक्ति को नहीं रहने दिया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘इन घटनाओं को रोकने के लिए परिसर में किसी भी बाहरी व्यक्ति को नहीं रहने दिया जाना चाहिए। मैंने संस्थान में निगरानी बढ़ाने के लिए इसरो की मदद लेने का सुझाव भी दिया था।’’

परिसर में स्थायी पुलिस चौकी स्थापित करने के मुद्दे पर बोस ने कहा कि ऐसे मामलों का निर्णय राज्य सरकार को करना होता है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में राज्यपाल के स्थान पर मुख्यमंत्री को नियुक्त करने संबंधी विधेयक को मंजूरी न देने के सवाल पर बोस ने कहा, ‘‘राज्यपाल अपने पद के कारण कुलाधिपति बनते हैं। राष्ट्रपति ने अपनी दूरदर्शिता से यह निर्णय लिया कि इसमें कोई बदलाव करने की आवश्यकता नहीं है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह हर जगह, हर राज्य में लागू होता है। राष्ट्रपति के फैसले ने इन स्थापित मानदंडों की पुष्टि की है।’’

बोस ने कहा कि राज्यपाल के वास्तविक कुलाधिपति होने की परंपरा को पहले एस राधाकृष्णन द्वारा स्पष्ट किया गया था और मुर्मू के निर्णय ने उस सिद्धांत की पुष्टि की है।

उन्होंने कहा, ‘‘राज्यपाल होने के नाते, मुझे विधानसभा द्वारा पारित विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजना पड़ा, लेकिन उन्होंने सहमति नहीं दी।’’

छह राज्य विश्वविद्यालयों में अभी भी कुलपति नियुक्त नहीं होने के संबंध में, बोस ने कहा कि राजभवन और राज्य सरकार के बीच अनुशंसित नामों पर कोई सहमति नहीं बन पाई है।

उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना ​​है कि ये नामांकित व्यक्ति कुलपति बनने के योग्य नहीं हैं।’’

दीक्षांत समारोह स्थल के बाहर छात्र संघ के तत्काल चुनाव की मांग को लेकर ‘स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया’ (एसएफआई) के सदस्यों द्वारा किये गये प्रदर्शन पर बोस ने कहा कि उन्हें अपनी मांगें उठाने का अधिकार है।

उन्होंने कहा, ‘‘छात्रों को अपनी मांगें खुलकर व्यक्त करने का पूरा अधिकार है। ये ऐसे मुद्दे हैं जिन पर सरकार को विचार करना चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि वे प्रदर्शनकारियों द्वारा उन्हें सौंपे गये मांग-पत्र का अध्ययन करेंगे।

पिछले दो वर्षों में जेयू के दीक्षांत समारोह में अपनी अनुपस्थिति का कारण बताते हुए राज्यपाल ने कहा, ‘‘विश्वविद्यालय को पूर्णकालिक कुलपति के नेतृत्व में एक नयी दिशा मिल रही है। पिछले दो वर्षों में कोई पूर्णकालिक कुलपति नहीं था, इसलिए दीक्षांत समारोह का कोई महत्व नहीं था।’’

राज्यपाल को उनके आगमन या प्रस्थान के दौरान किसी भी प्रकार की बाधा का सामना नहीं करना पड़ा, हालांकि एसएफआई के लगभग 100 छात्र कार्यकर्ताओं ने नारे लगाए और अपनी मांगों को उठाया।

जेयू एसएफआई इकाई के पदाधिकारी सौगत ने कहा, ‘‘हमें खुशी है कि दीक्षांत समारोह के बाद राज्यपाल ने हमसे मुलाकात की और हमारी बात सुनी। उन्होंने सरकार के समक्ष हमारी मांगों को उठाने का भी वादा किया।’’

भाषा

देवेंद्र मनीषा

मनीषा


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