सच्चे ‘जीएसटी 2.0’ का इंतजार जारी, राज्यों को राजस्व क्षतिपूर्ति की अवधि पांच साल बढ़े: कांग्रेस
सच्चे 'जीएसटी 2.0' का इंतजार जारी, राज्यों को राजस्व क्षतिपूर्ति की अवधि पांच साल बढ़े: कांग्रेस
नयी दिल्ली, चार सितंबर (भाषा) कांग्रेस ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) में सुधारों को लेकर बृहस्पतिवार को दावा किया कि अभी भी सच्चे ‘जीएसटी 2.0’ (जीएसटी के दूसरे संस्करण) का इंतजार जारी है और यह ‘जीएसटी 1.5’ है क्योंकि अभी यह देखना होगा कि क्या निजी निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा और क्या एमएसएमई पर बोझ कम होगा।
मुख्य विपक्षी दल ने यह भी कहा कि राज्यों की यह मांग अभी भी अनसुलझी है तथा पहले से अधिक महत्वपूर्ण हो गई है कि राजस्व की क्षतिपूर्ति की अवधि को पांच साल के लिए और बढ़ाया जाए।
जीएसटी परिषद ने बुधवार को आम सहमति से माल एवं सेवा कर में व्यापक सुधारों को मंजूरी दी। इन सुधारों के तहत साबुन, साइकिल, टीवी और व्यक्तिगत स्वास्थ्य तथा जीवन बीमा पॉलिसी जैसे आम उपयोग के उत्पादों पर जीएसटी की दरें कम की गयी हैं।
जीएसटी में पांच प्रतिशत और 18 प्रतिशत की दो-स्तरीय कर संरचना को मंजूरी दी गयी है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एक्स पर पोस्ट किया, ‘लगभग एक दशक से कांग्रेस जीएसटी के सरलीकरण की माँग कर रही है। मोदी सरकार ने “एक राष्ट्र, एक कर” को ‘एक राष्ट्र, नौ कर’ बना दिया था।’
उन्होंने उल्लेख किया कि कांग्रेस पार्टी ने अपने 2019 और 2024 के लोकसभा चुनावों के घोषणापत्रों में सरल और तर्कसंगत कर व्यवस्था के साथ जीएसटी 2.0 की मांग की थी।
उन्होंने दावा किया कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के समय जब जीएसटी विधेयक लाया गया था तो गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री रहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसका विरोध किया था।
खरगे ने कहा कि आज यही भाजपा सरकार रिकॉर्ड जीएसटी संग्रह का जश्न मनाती है, जैसे कि आम जनता से टैक्स वसूलकर उसने कोई बहुत बड़ा काम किया हो।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘देश के इतिहास में पहली बार किसानों पर टैक्स लगाया गया है। इस मोदी सरकार ने कृषि क्षेत्र की कम से कम 36 वस्तुओं पर जीएसटी थोपा था। दूध-दही, आटा-अनाज, यहाँ तक कि बच्चों की पेन्सिल-किताबें, ऑक्सीजन, बीमा और अस्पताल के खर्च जैसी रोज़मर्रा की चीज़ों पर भी मोदी सरकार ने जीएसटी थोपा।’
उन्होंने कहा कि इसीलिए कांग्रेस ने भाजपा के इस जीएसटी को ‘गब्बर सिंह टैक्स’ का नाम दिया।
खरगे ने कटाक्ष करते हुए कहा कि यह अच्छी बात है कि आठ वर्ष देर से ही सही, जीएसटी पर मोदी सरकार की कुम्भकर्णी नींद खुली और उन्होंने जाग कर दरों को तर्कसंगत बनाने की बात की है।
उन्होंने कहा कि अभी राज्यों को 2024-25 को आधार वर्ष मानकर पांच वर्षों की अवधि के लिए क्षतिपूर्ति दिया जाए, क्योंकि दरों में कटौती से उनके राजस्व पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना तय है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट किया, ‘कांग्रेस लंबे समय से जीएसटी 2.0 की वकालत कर रही है जिससे दरों की संख्या कम हो, बड़े पैमाने पर उपभोग की जाने वाली वस्तुओं पर दरों में कटौती हो, कर चोरी, गलत वर्गीकरण और विवादों की संख्या कम हों, उलटे शुल्क ढांचे (लागत की तुलना में उत्पादन पर कम कर) समाप्त हों, एमएसएमई पर अनुपालन का बोझ कम हो और जीएसटी कवरेज का विस्तार हो।’
उन्होंने कहा, ‘केंद्रीय वित्त मंत्री ने कल शाम जीएसटी परिषद की बैठक के बाद कई बड़ी घोषणाएं कीं। हालांकि, जीएसटी परिषद की बैठक से पहले ही, प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त, 2025 के अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में इसके निर्णयों की सारगर्भित घोषणा कर दी थी। ‘
उन्होंने सवाल किया कि क्या जीएसटी परिषद एक औपचारिकता मात्र रह गई है?
रमेश ने दावा किया कि निजी उपभोग में तेजी की कमी, निजी निवेश की धीमी दर और अंतहीन वर्गीकरण विवादों का सामना करते हुए, केंद्रीय वित्त मंत्री ने अंततः स्वीकार किया है कि ‘जीएसटी 1.0’ आखिरी सीमा तक पहुंच गया।
उन्होंने कहा, ‘ दरअसल, जीएसटी 1.0 का डिज़ाइन ही दोषपूर्ण था और कांग्रेस ने जुलाई 2017 में ही इस ओर इशारा कर दिया था, जब प्रधानमंत्री ने अपना एक यू-टर्न लेते हुए जीएसटी लागू करने का फैसला किया था। इसे एक अच्छा और सरल कर माना जाता था। यह विकास को दबाने वाला कर निकला।’
कांग्रेस नेता ने कहा कि कल शाम की घोषणाएं निश्चित रूप से सुर्खियां बनीं क्योंकि प्रधानमंत्री ने दिवाली से पहले की समय-सीमा पहले ही तय कर दी थी।
रमेश ने यह भी कहा, ‘ संभवतः दरों में कटौती का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचाया जाएगा। हालांकि, एक सच्चे जीएसटी 2.0 का इंतज़ार जारी है। क्या यह नया ‘जीएसटी 1.5’ निजी निवेश को प्रोत्साहित करेगा, देखना बाकी है। क्या इससे एमएसएमई पर बोझ कम होगा, यह तो समय ही बताएगा। ‘
रमेश ने दावा किया कि सहकारी संघवाद की सच्ची भावना से राज्यों की एक प्रमुख मांग अर्थात उनके राजस्व की पूरी तरह से रक्षा के लिए क्षतिपूर्ति की अवधि को पांच साल के लिए और बढ़ाया जाना, अभी तक अनसुलझी है। उन्होंने कहा कि वास्तव में, यह मांग अब और भी ज़्यादा महत्वपूर्ण हो गई है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने कहा कि जीएसटी दरों में कमी स्वागत योग्य है, लेकिन यह कदम उठाने में बहुत देर हो गई।
पूर्व वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि जीएसटी का मौजूदा डिज़ाइन और कई दरें पहले ही नहीं होनी चाहिए थी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में कर ढांचे को सरल बनाने का ऐलान किया था। उसी घोषणा के अनुरूप जीएसटी परिषद ने कर दरों में व्यापक बदलाव को मंजूरी दी है।
भाषा हक सुमित मनीषा
मनीषा

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