वक्फ कानून धार्मिक संस्थाओं की स्वायत्तता को कमजोर करता : जमात-ए-इस्लामी हिंद

वक्फ कानून धार्मिक संस्थाओं की स्वायत्तता को कमजोर करता : जमात-ए-इस्लामी हिंद

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  • Publish Date - April 21, 2025 / 08:29 PM IST,
    Updated On - April 21, 2025 / 08:29 PM IST

नयी दिल्ली, 21 अप्रैल (भाषा) मुस्लिम संगठन जमात-ए-इस्लामी हिंद ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को “असंवैधानिक” और “पक्षपातपूर्ण” बताते हुए कहा कि अधिनियम हितधारकों की आपत्तियों की अनदेखी और धार्मिक संस्थाओं की स्वायत्तता को कमजोर करता है। संगठन ने सोमवार को जारी एक बयान में यह टिप्पणी की।

बयान में कहा गया है कि संगठन वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की कड़ी निंदा करते हुए इसे असंवैधानिक, अन्यायपूर्ण और पक्षपातपूर्ण करार देती है। इसके मुताबिक, यह अधिनियम हितधारकों की आपत्तियों की अनदेखी करता है, धार्मिक संस्थाओं की स्वायत्तता को कमजोर करता है तथा संविधान के अनुच्छेद 26 का उल्लंघन करता है।

जमात-ए-इस्लामी हिंद के प्रमुख सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी नेतृत्व में संगठन की यहां प्रतिनिधि सभा की बैठक में वक्फ, यूसीसी, सांप्रदायिक तनाव, आर्थिक अन्याय और फलस्तीन की स्थिति समेत कई मुद्दों पर प्रस्ताव पारित किए।

बयान के मुताबिक, बैठक में “बढ़ती सांप्रदायिक नफरत, सरकार के समर्थन से मुस्लिम संपत्तियों में तोड़फोड़ की कार्रवाई करना, शांतिपूर्ण इबादत में व्यवधान और मस्जिदों व मदरसों पर हमलों पर गहरी चिंता व्यक्त की गई।”

वक्तव्य के अनुसार, संगठन ने उत्तराखंड में लागू समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को धार्मिक समुदायों के निजी कानूनों का पालन करने के “संवैधानिक अधिकारों” का उल्लंघन करने वाला बताया।

इसमें कहा गया है कि एकरूपता की आड़ में विशेष रूप से मुसलमानों को निशाना बनाना असंवैधानिक और सामाजिक रूप से विभाजनकारी है और यह हाल में उत्तराखंड में देखा गया है।

बयान के मुताबिक, जमात ने गाज़ा में तत्काल युद्ध विराम लागू करने, मानवीय गलियारे खोलने तथा फलस्तीनी संप्रभुता को मान्यता देने का आह्वान किया।

इसमें कहा गया है कि बैठक में मांग की गई कि भारत सरकार फलीस्तीन समर्थक अपने ऐतिहासिक रुख को कायम रखे, इजराइल को सभी प्रकार का समर्थन बंद करे तथा इंसाफ के लिए अपनी कूटनीतिक का इस्तेमाल करे।

भाषा नोमान माधव

माधव