मुर्शिदाबाद, आठ दिसंबर (भाषा) तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के निलंबित विधायक हुमायूं कबीर ने सोमवार को अपने पहले के रुख से पलटते हुए कहा कि वह पश्चिम बंगाल विधानसभा से इस्तीफा नहीं देंगे। उन्होंने यह बात मुर्शिदाबाद जिले में बाबरी मस्जिद की तर्ज पर एक मस्जिद की आधारशिला रखने के कुछ दिन बाद कही।
मुर्शिदाबाद जिले के भरतपुर से विधायक कबीर ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘अब मेरे इस्तीफे का कोई सवाल ही नहीं है। मैं विधायक पद से इस्तीफा नहीं दे रहा हूं।’’
उन्होंने दावा किया कि उनके निर्वाचन क्षेत्र के लोगों ने उनसे इस्तीफा नहीं देने को कहा है। उन्होंने कहा, ‘‘लोगों ने मुझे अपना प्रतिनिधि चुना है। वे नहीं चाहते कि मैं इस्तीफा दूं। उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए, मैंने इस्तीफा नहीं देने का फैसला किया है।’’
कबीर ने पहले घोषणा की थी कि वह 22 दिसंबर को एक नयी राजनीतिक पार्टी बनाने से पहले 17 दिसंबर को विधानसभा से इस्तीफा दे देंगे।
विधायक ने यह भी दावा किया था कि कोलकाता में स्थायी समिति की बैठक में भाग लेने के बाद वह औपचारिक रूप से अपना इस्तीफा सौंप देंगे।
इस बीच, राज्य में सत्तारूढ़ दल टीएमसी ने विधानसभा के अंदर भी कबीर से दूरी बनाए रखने का फैसला किया है। टीएमसी नेताओं ने कहा कि सदन में उनके बैठने की व्यवस्था बदली जाएगी।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि विधायक बने रहने के उनके फैसले के बाद, तृणमूल कांग्रेस विधायक दल ने सत्तारूढ़ दल के सदस्यों से दूर रखने के लिए कबीर की सीट भाजपा सदस्यों की सीट के पास करने की पहल की है।
इससे पहले, कबीर को उनके पूर्व मंत्री पद के कारण सत्ता पक्ष की सीट के पास अगली पंक्ति में सीट दी गई थी।
वर्ष 2012 में कांग्रेस छोड़कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने के बाद उन्होंने पशु संसाधन राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया था, लेकिन 2015 के रेजिनगर उपचुनाव में हार के बाद उन्होंने मंत्री पद गंवा दिया था।
तृणमूल कांग्रेस के मुख्य सचेतक निर्मल घोष ने कहा कि पार्टी स्थिति पर कड़ी नजर रख रही है। उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘निलंबित विधायकों को विधानसभा में बैठने की व्यवस्था पर फैसला अगले कुछ दिन में लिया जाएगा।’’
पश्चिम बंगाल विधानसभा के कार्यकाल की समाप्ति से पहले सदन का शीतकालीन सत्र और अंतरिम बजट सत्र की बैठक होने की उम्मीद है।
टीएमसी के निलंबित विधायक कबीर ने शनिवार को कड़ी सुरक्षा के बीच मुर्शिदाबाद के बेलडांगा में बाबरी मस्जिद की तर्ज पर एक मस्जिद की नींव रखी, जिस पर तीखी राजनीतिक प्रतिक्रियाएं हुईं और सत्तारूढ़ दल के भीतर तनाव गहरा गया।
कबीर ने दावा किया कि आधारशिला समारोह को ‘अप्रत्याशित जन प्रतिक्रिया’ मिली, जिसके कारण उन्होंने अपने इस्तीफे के फैसले पर पुनर्विचार किया। उन्होंने कहा, ‘नींव रखने के बाद मुझे लोगों का भारी समर्थन मिला। इस समर्थन ने मेरे संकल्प को और मजबूत किया है।’
टीएमसी ने कबीर को पार्टी अनुशासन का बार-बार उल्लंघन करने और मस्जिद परियोजना से जुड़े भड़काऊ बयान देने के लिए निलंबित कर दिया था।
विधायक बने रहने का फैसला करने के बावजूद, कबीर ने दोहराया कि वह इस महीने के अंत में एक नया राजनीतिक दल बनाने की योजना पर आगे बढ़ेंगे।
उन्होंने दावा किया, ‘‘मैंने अभी तक कांग्रेस से बात नहीं की है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के प्रदेश सचिव मोहम्मद सलीम ने उनके साथ बातचीत की जिम्मेदारी ली है। अगले विधानसभा चुनाव के लिए मुर्शिदाबाद में कांग्रेस और वाम दलों के साथ सीट के बंटवारे की प्रबल संभावना है।’’
उन्होंने कहा कि दो और विधायक उनकी प्रस्तावित पार्टी में शामिल होंगे, हालांकि उन्होंने उनके नाम बताने से इनकार कर दिया।
भाषा अमित नरेश
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