व्हाट्सऐप की निजता नीति ने उपयोगकर्ताओ को समझौता स्वीकार करने के लिए मजबूर किया: अदालत

व्हाट्सऐप की निजता नीति ने उपयोगकर्ताओ को समझौता स्वीकार करने के लिए मजबूर किया: अदालत

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  • Publish Date - August 26, 2022 / 02:56 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:58 PM IST

नयी दिल्ली, 26 अगस्त (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि व्हाट्सऐप की 2021 की निजता नीति इसके उपयोगकर्ताओं को ‘‘अपनाओ या छोड़ दो’’ की स्थिति में डाल देती है और विकल्पों का भ्रम पैदा करके समझौता करने के लिए उन्हें वस्तुत: मजबूर करती है तथा उसके बाद उनका डेटा अपनी मूल कंपनी फेसबुक के साथ साझा करती है।

उच्च न्यायालय ने उस आदेश के खिलाफ व्हाट्सऐप और फेसबुक की अपीलें बृहस्पतिवार को निरस्त कर दी, जिसमें व्हाट्सऐप की 2021 की नयी निजता नीति की जांच से संबंधित भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के आदेश को चुनौती देने वाली अर्जी खारिज कर दी गई थी।

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने कहा कि 22 अप्रैल, 2021 को सुनाया गया एकल पीठ का फैसला उचित था और इन अपीलों में कोई दम नहीं है।

खंडपीठ ने बृहस्पतिवार को यह फैसला सुनाया, लेकिन इसे अदालत की वेबसाइट पर शुक्रवार को अपलोड किया गया।

उच्च न्यायालय ने कहा कि भारत में ओटीटी (ओवर-द-टॉप) मैसेजिंग ऐप के बाजार में स्मार्टफोन के जरिये व्हाट्सऐप की प्रबल हिस्सेदारी है।

अदालत की एकल पीठ ने सीसीआई द्वारा निर्देशित जांच रोकने से पिछले साल अप्रैल में इनकार कर दिया था और ‘व्हाट्सऐप एलएलसी’ तथा ‘फेसबुक इंक’ (अब ‘मेटा’) की याचिका खारिज कर दी थी।

सीसीआई ने ‘इंस्टेंट मैसेजिंग’ प्लेटफॉर्म की अद्यतन निजता नीति 2021 संबंधी खबरों के आधार पर पिछले साल जनवरी में इसकी जांच करने का स्वयं फैसला किया था।

भाषा सिम्मी सुरेश

सुरेश