अविवाहित महिलाओं को सुरक्षित गर्भपात की अनुमति क्यों नहीं? सुप्रीम कोर्ट करेगा अब एमटीपी कानून की व्याख्या |

अविवाहित महिलाओं को सुरक्षित गर्भपात की अनुमति क्यों नहीं? सुप्रीम कोर्ट करेगा अब एमटीपी कानून की व्याख्या

unmarried women not allowed safe abortions:उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अविवाहित महिलाओं को 24 माह तक के गर्भ के सुरक्षित गर्भपात की अनुमति क्यों नहीं मिलनी चाहिए? वह एमटीपी कानून की व्याख्या करेगा।

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:55 PM IST, Published Date : August 6, 2022/3:52 pm IST

unmarried women not allowed safe abortions: नई दिल्ली। सुरक्षित गर्भपात का अधिकार अविवाहित महिलाओं को न देने को उसकी निजी स्वायत्तता का उल्लंघन करार देने संबंधी अपने महत्वपूर्ण निर्णय के बाद उच्चतम न्यायालय अब मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट, 1971 कानून तथा संबंधित नियमों की व्याख्या करने की तैयारी में है। ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि क्या चिकित्सीय सलाह पर अविवाहित महिलाओं को भी 24 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति दी जा सकती है?

न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने शुक्रवार को केंद्र सरकार की ओर से पेश हो रही अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से इस संबंध में न्यायालय की मदद करने का आग्रह किया है। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, यदि कानून के तहत अपवाद मौजूद हैं तो चिकित्सीय सलाह पर 24 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने वाली महिलाओं में अविवाहित महिलाओं को क्यों नहीं शामिल किया जाए?

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unmarried women not allowed safe abortions?

एमटीपी कानून के प्रावधान का जिक्र करते हुए न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने टिप्पणी की, ‘एक अविवाहित लड़की जो बालिग है और अवांछित गर्भावस्था से पीड़ित है, अगर एक विवाहित महिला को 24 सप्ताह तक के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति है, तो अविवाहित महिला को इस अधिकार के दायरे से बाहर क्यों रखा जाना चाहिए? इस तरह के भेदभाव का कोई तार्किक कारण नहीं है।

उन्होंने यह भी कहा कि कानून में पति के स्थान पर पार्टनर शब्द रखने से ही संसद का इरादा स्पष्ट समझ में आता है, यह दर्शाता है कि संसद ने अविवाहित महिलाओं को उसी श्रेणी में रखा है जिस श्रेणी की महिलाओं को 24 हफ्ते के गर्भ को गिराने की अनुमति है, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने सुप्रीम कोर्ट की पीठ के समक्ष कहा कि इस मामले में विशेषज्ञों की अलग अलग राय है और हमें उन विचारों को अदालत के समक्ष रखने की जरूरत है।

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अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि 24 सप्ताह के भ्रूण को समाप्त करने में काफी जोखिम है और इससे महिलाओं की जान भी जा सकती है। सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने इसके बाद ऐश्वर्या भाटी को विशेषज्ञों की राय से अदालत को अवगत कराने के लिए कहा और इस मामले में उनसे सहयोग करने का आग्रह किया। भारत में गर्भधारण की चिकित्सीय समाप्ति अधिनियम, 1971 का कानून, 2003 के नियमों के माध्यम से, अविवाहित महिलाओं को 20-24 सप्ताह की गर्भावस्था को समाप्त करने से रोकता है।

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