Why was there a need for CAA?: CAA की जरूरत क्यों पड़ी? जानें इन जगहों पर क्यों नहीं होगा लागू

Why was there a need for CAA?: CAA की जरूरत क्यों पड़ी? जानें इन जगहों पर क्यों नहीं होगा लागू

Why was there a need for CAA?: CAA की जरूरत क्यों पड़ी? जानें इन जगहों पर क्यों नहीं होगा लागू

How To Apply On CAA Portal

Modified Date: March 11, 2024 / 10:42 pm IST
Published Date: March 11, 2024 10:42 pm IST

नई दिल्ली: Why was there a need for CAA? आगामी लोकसभा चुनाव से ठीक पहले देश की मोदी सरकार ने सीएए का नॉटिफिकेशन जारी कर दिया है। जिसके बाद अब देश में सीएए लागू हो गया है। सीएए लागू होने के बाद अब तीन देशों के गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता का रास्ता साफा हो गया है। साल 2020 में देशभर में CAA के खिलाफ प्रदर्शन हुए थे। इन प्रदर्शनों में कई ऐसे लोग भी थे जिन्हें कानून की कम या गलत जानकारी थी। इसलिए आइए समझते हैं कि CAA लागू होने से क्या बदलेगा।

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Why was there a need for CAA? सीएए लागू होने के बाद अब सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिर सीएए है क्या? और इसके लागू होने पर क्या क्या बड़े बदलाव होंगे? तो चलिए जानते है आखिर सीएए क्या है और इसके लागू होने के बाद क्या बदलाव होने वाला है।

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दरअसल, इस प्रावधान में मुस्लिमों को शामिल नहीं किया गया है जिसकी वह से अब कई जगहों पर विरोध देखने को मिल रहा है। हांलकि सरकार की ओर से कहा गया कि सीएए में किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया गया है।

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CAA की जरूरत क्यों पड़ी?

भारत के पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने बताया कि CAA की आवश्यकता इसलिए थी क्योंकि हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन और ईसाई अल्पसंख्यक जो दशकों से भारत में आए और देश में बस गए, वे पूर्व-संशोधित नागरिकता कानून के तहत भारतीय नागरिकता हासिल नहीं कर सकते थे। इसके चलते वो भारतीय नागरिकता के कई लाभों से वंचित थे। संशोधन के बाद उन्हें अनिश्चित जीवन नहीं जीना पडे़गा।

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इन जगहों पर लागू नहीं होगा सीएए

आपको बता दें कि असम, मेघालय समेत कई राज्यों में लोग सड़कों पर उतर आए। बाद सरकार ने कानून लागू करते वक्त ऐलान किया कि मेघालय, असम, अरुणाचल, मणिपुर के कुछ क्षेत्रों में कानून लागू नहीं होगा।

नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) में ‘इनर लाइन प्रणाली’ सहित कुछ अन्य श्रेणियों में छूट प्रदान की गई है। संविधान की 6वीं अनुसूची में शामिल असम, मेघालय, मिज़ोरम और त्रिपुरा के जनजातीय क्षेत्रों तथा इनर लाइन परमिट (ILP) प्रणाली के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों पर लागू नहीं होगा।

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लेखक के बारे में

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