नयी दिल्ली, 29 अगस्त (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह किसी को भी अंतरिम आदेश के जरिये दक्षिणी दिल्ली की सैनिक फार्म कॉलोनी में किसी भी तरह का निर्माण या मरम्मत कार्य करने की इजाजत नहीं देगा तथा इसके बजाय वह इसके नियमितीकरण से संबंधित मुद्दों पर अंतिम फैसला करेगा।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ‘अनधिकृत’ कॉलोनी के कुछ निवासियों द्वारा अपनी संपत्तियों की मरम्मत और रखरखाव कार्य करने की अनुमति मांगने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
घरों की मरम्मत और नियमित रखरखाव का आग्रह करने वाली याचिकाओं का विरोध करते हुए केंद्र ने अदालत से कहा कि वह सैनिक फार्म में मरम्मत कार्य के लिए अनुमति देने के खिलाफ है, क्योंकि कॉलोनी ‘पूरी तरह से अनधिकृत’ है तथा किसी भी अंतरिम राहत से बड़े पैमाने पर और अधिक अनधिकृत निर्माण को बढ़ावा मिलेगा।
यह उल्लेख करते हुए कि ‘मामले में अंतिम फैसला किया जाएगा’, न्यायाधीशों में से एक ने कहा, ‘मैं यह बहुत स्पष्ट कर रहा हूं कि अंतरिम आदेशों से, हम किसी को भी किसी भी तरह के निर्माण या मरम्मत की अनुमति नहीं देंगे।’
पीठ ने कहा, ‘‘हम मामले पर अंतिम फैसला करेंगे। हम किसी भी तरह के निर्माण के लिए किसी भी तरह की अनुमति नहीं देंगे… हम इस पर दिसंबर में छुट्टियों में भी सुनवाई करेंगे।’’
इसने आदेश दिया, ‘‘भारत संघ द्वारा दायर जवाब पर विचार के लिए और मामले में अंतिम सुनवाई के लिए इसे 17 दिसंबर को सूचीबद्ध किया जाए।’’
अदालत ने पक्षों से उन मुद्दों के लिए एक अलग रिट याचिका या मुकदमा दायर करने को भी कहा, जो कॉलोनी के नियमितीकरण से संबंधित नहीं हैं।
भाषा नेत्रपाल दिलीप
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