भारत में दुनिया का सबसे बड़ा कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम शुरू होने जा रहा है: मोदी

भारत में दुनिया का सबसे बड़ा कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम शुरू होने जा रहा है: मोदी

भारत में दुनिया का सबसे बड़ा कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम शुरू होने जा रहा है: मोदी
Modified Date: November 29, 2022 / 08:24 pm IST
Published Date: January 4, 2021 10:10 am IST

नयी दिल्ली, चार जनवरी (भाषा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने औषधि नियामक द्वारा दो टीकों के सीमित आपात इस्तेमाल को मंजूरी दिए जाने के एक दिन बाद सोमवार को कहा कि देश में कोरोना वायरस के खिलाफ दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण कार्यक्रम शुरू होने जा रहा है।

उन्होंने ‘भारत में निर्मित’ टीकों के लिए वैज्ञानिकों एवं तकनीशियनों की प्रशंसा करते हुए कहा कि देश को उन पर गर्व है।

मोदी ने कहा, ‘‘भारत में दुनिया का सबसे बड़ा कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम शुरू हाने जा रहा है। इसके लिए देश को अपने वैज्ञानिकों के योगदान पर बहुत गर्व है। हर देशवासी सभी वैज्ञानिकों एवं तकनीशियनों का कृतज्ञ है।’’

 ⁠

मोदी ने राष्ट्रीय माप पद्धति सम्मेलन में वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए कहा कि यह सुनिश्चित करना होगा कि ‘भारत में निर्मित’’ उत्पादों की न केवल वैश्विक मांग हो, बल्कि उनकी वैश्विक स्वीकार्यता भी हो। इस अवसर पर केन्‍द्रीय मंत्री हर्षवर्धन भी उपस्थित थे।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘किसी उत्पाद की गुणवत्ता उसकी मात्रा जितनी ही महत्वपूर्ण है। हमें दुनिया को केवल भारतीय उत्पादों से भरना नहीं है बल्कि भारतीय उत्पादों को खरीदने वाले हर एक कस्टमर का दिल भी जीतना है। ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में कदम बढ़ाने के साथ-साथ हमारे मानक भी ऊंचे होने चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मेड इन इंडिया की न केवल वैश्विक मांग हो बल्कि उसकी वैश्विक स्वीकार्यता भी सुनिश्चित करना है। हमें ब्रांड इंडिया को गुणवत्ता और विश्वसनीयता के मजबूत स्तंभों पर और मजबूत बनाना है।’’

उल्लेखनीय है कि भारत के औषधि नियामक ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित ऑक्सफोर्ड कोविड-19 टीके ‘कोविशील्ड’ और भारत बायोटेक के स्वदेश में विकसित टीके ‘कोवैक्सीन’ के सीमित आपात इस्तेमाल को रविवार को मंजूरी दे दी, जिससे व्यापक टीकाकरण अभियान का मार्ग प्रशस्त हो गया।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि किसी भी प्रगतिशील समाज में अनुसंधान अहम एवं प्रभावी होता है और उसका असर वाणिज्यिक एवं सामाजिक होता है। इनसे दृष्टिकोण एवं सोच को व्यापक करने में भी मदद मिलती है।

उन्होंने कहा, ‘‘अतीत हमें सिखाता है कि कोई देश विज्ञान पर जितना ध्यान केंद्रित करता है, उसकी प्रौद्योगिकी उतनी ही मजबूत होती है। इस प्रौद्योगिकी की मदद से नए उद्योगों में मदद मिलती है और यह अनुसंधान को प्रोत्साहित करता है। यही चक्र देश को आगे लेकर जाता है।’’

उन्होंने जोर दिया कि देश में सार्वजनिक एवं निजी, दोनों क्षेत्रों में उत्पादों एवं सेवा की गुणवत्ता दुनिया में भारत की ताकत निर्धारित करेगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत दशकों से गुणवत्ता और मेजरमेंट (माप) के लिए विदेशी मानकों पर निर्भर रहा है लेकिन इस दशक में भारत को अपने मानकों को नयी ऊंचाई देनी होगी।

उन्होंने कहा, ‘‘इस दशक में भारत की गति, भारत की प्रगति, भारत का उत्थान, भारत की छवि, भारत का सामर्थ्य, हमारे क्षमता निर्माण और मानकों से ही तय होंगे। हमारे देश में उत्पादों की गुणवत्ता ही तय करेंगे कि दुनिया में भारत और भारत के उत्पादों की ताकत कितनी ज्यादा बढ़े।’’

उन्होंने कहा कि ‘‘आत्मनिर्भर भारत’’ के नए संकल्पों को ध्यान में रखते हुए नए मानकों, नए पैमानों को गढ़ने की दिशा में आगे बढ़ना है।

मोदी ने कहा कि देश उद्योग उन्मुख दृष्टिकोण से उपभोक्ता आधारित दृष्टिकोण की ओर बढ़ रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘इन नए मानकों से देशभर के जिलों में वहां के स्थानीय उत्पादों को वैश्विक पहचान दिलाने का अभियान है। इससे देश में सूक्ष्‍म, लघु और मध्‍यम उद्योग और निर्यात में भी इजाफा होगा।’’

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर राष्ट्रीय परमाणु समयमापक (नेशनल एटॉमिक टाइमस्‍केल) और भारतीय निर्देशक द्रव्य को भी राष्ट्र को समर्पित किया और राष्ट्रीय पर्यावरण संबंधी मानक प्रयोगशाला की आधारशिला रखी।

भाषा ब्रजेन्द्र

ब्रजेन्द्र अविनाश

अविनाश

अविनाश


लेखक के बारे में