निचली अदालत में एसआईटी की क्लोजर रिपोर्ट की स्वीकृति को देखना चाहेंगे: न्यायालय

निचली अदालत में एसआईटी की क्लोजर रिपोर्ट की स्वीकृति को देखना चाहेंगे: न्यायालय

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  • Publish Date - October 26, 2021 / 10:09 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:59 PM IST

नयी दिल्ली, 26 अक्टूबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह 2002 के दंगों के दौरान गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी समेत 64 लोगों को क्लीन चिट देने वाले विशेष जांच दल (एसआईटी) की क्लोजर रिपोर्ट और इसे स्वीकार करते समय मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा दिए गए औचित्य को देखना चाहेगा।

न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ ने दिवंगत कांग्रेस नेता एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी की याचिका पर सुनवाई शुरू की, जिसमें उनके वकील कपिल सिब्बल के माध्यम से एसआईटी की क्लीन चिट को चुनौती दी गई है।

न्यायालय ने कहा, “हमारा बड़ी हस्तियों से कोई लेना-देना नहीं है। राजनीतिज्ञ कुछ भी नहीं है। हम कानून और व्यवस्था तथा एक व्यक्ति के अधिकारों के मामले को देख रहे हैं।’

वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि वह अब जाफरी की शिकायत में नामजद लोगों की दोषसिद्धि नहीं चाहते और उनका मामला यह है कि ‘एक बड़ी साजिश थी जहां नौकरशाही की निष्क्रियता, पुलिस की मिलीभगत, भड़काऊ भाषण रहे और हिंसा को बढ़ावा दिया गया।’

पीठ ने कहा, ‘‘हम क्लोजर रिपोर्ट (एसआईटी की) में दिए गए औचित्य को देखना चाहते हैं। हम रिपोर्ट स्वीकार करने के मजिस्ट्रेट के आदेश और उनके विवेक को देखना चाहते हैं।’’

वरिष्ठ अधिवक्ता ने शीर्ष अदालत के आदेशों, एसआईटी और न्याय मित्र राजू रामचंद्रन की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि क्लीन चिट और बाद में निचली अदालतों द्वारा इसकी स्वीकृति गुलबर्ग सोसाइटी मामले तक सीमित नहीं थी जिसमें 28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद में मारे गए 68 लोगों में एहसान जाफरी शामिल थे।

उन्होंने कहा, ‘अगर हम इसे केवल गुलबर्ग तक सीमित रखते हैं तो कानून के शासन की अवधारणा का क्या होगा, सभी सामग्री का क्या होगा। अदालत जो करती है उसके आधार पर एक गणतंत्र खड़ा होता है या गिर जाता है।”

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मूल शिकायत जकिया जाफरी ने दर्ज कराई थी, जो अहमदाबाद में गुलबर्ग सोसाइटी में रहती थीं।

गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच में आग लगाए जाने से 59 लोगों की मौत और गुजरात में दंगे भड़कने के एक दिन बाद 28 फरवरी, 2002 को अहमदाबाद में गुलबर्ग सोसाइटी में मारे गए 68 लोगों में पूर्व सांसद एहसान जाफरी भी शामिल थे।

उच्च न्यायालय ने अक्टूबर 2017 के अपने आदेश में कहा था कि एसआईटी जांच की निगरानी उच्चतम न्यायालय द्वारा की गई थी। हालाँकि, आगे की जांच के संबंध में इसने जकिया जाफरी की याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार कर लिया था।

इसने कहा था कि याचिकाकर्ता द्वारा आगे की जांच के लिए मजिस्ट्रेट की अदालत, उच्च न्यायालय की खंडपीठ या उच्चतम न्यायालय सहित किसी उचित मंच का रुख किया जा सकता है।

भाषा नेत्रपाल नरेश

नरेश