वर्ष 2025: आपदाएं, पुनर्निर्माण की होड़ और बढ़ता कर्ज हिमाचल प्रदेश को संकट में डाल रहे

वर्ष 2025: आपदाएं, पुनर्निर्माण की होड़ और बढ़ता कर्ज हिमाचल प्रदेश को संकट में डाल रहे

वर्ष 2025: आपदाएं, पुनर्निर्माण की होड़ और बढ़ता कर्ज हिमाचल प्रदेश को संकट में डाल रहे
Modified Date: December 27, 2025 / 09:57 am IST
Published Date: December 27, 2025 9:57 am IST

(भानु पी लोहुमी)

शिमला, 27 दिसंबर (भाषा) हिमाचल प्रदेश में इस वर्ष विनाशकारी प्राकृतिक आपदा, लगातार गहराता वित्तीय संकट और ‘चिट्टा’ (नशे) के खिलाफ जंग जैसी बड़ी घटनाएं देखने को मिलीं। इस दौरान राज्य में ऐतिहासिक अदालती फैसले भी आए और बिजली निगम के एक इंजीनियर की रहस्यमयी परिस्थिति में मौत को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हुआ।

मानसून के दौरान अत्यधिक बारिश ने राज्य में भारी तबाही मचाई। कई इलाकों में बादल फटने, अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन की घटनाएं हुईं।

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प्रकृति के इस प्रकोप ने किसी को नहीं बख्शा। घर, सड़कें, पुल और सार्वजनिक सुविधाएं मलबे में तब्दील हो गईं। कई लोग फंस गए और कम से कम 240 लोगों की जान चली गई। चंबा, मंडी, कुल्लू और कांगड़ा जिले सबसे अधिक प्रभावित रहे।

सरकार ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 34 लागू कर पूरे राज्य को ‘आपदा-प्रभावित’ घोषित कर दिया। सरकारी आकलन के अनुसार आपदाओं के कारण राज्य को करीब 5,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

व्यापक तबाही ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भी ध्यान खींचा जिन्होंने प्रभावित जिलों का दौरा किया और 1,500 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने स्वीकार किया कि राज्य की वित्तीय स्थिति में अगले वर्ष तक सुधार होने की संभावना नहीं है।

मार्च में ‘हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड’ (एचपीपीसीएल) के महाप्रबंधक-सह-मुख्य अभियंता विमल नेगी की रहस्यमयी परिस्थिति में मौत ने पूरे राज्य को झकझोर दिया। नेगी 10 मार्च को लापता हो गए थे और 18 मार्च को उनका शव भाखड़ा जलाशय से बरामद किया गया।

मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया, लेकिन नेगी के परिवार ने जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया।

स्थिति तब और तनावपूर्ण हो गई, जब परिवार ने अंतिम संस्कार से इनकार करते हुए एचपीपीसीएल के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।

जांच प्रक्रिया को लेकर तत्कालीन पुलिस महानिदेशक अतुल वर्मा और शिमला के पुलिस अधीक्षक (एसपी) संजीव गांधी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला।

सबूतों से छेड़छाड़ के आरोप और तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) ओंकार शर्मा की उस रिपोर्ट ने मामले को और गंभीर बना दिया, जिसमें दावा किया गया था कि नेगी पर वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा एक कंपनी को अनुचित लाभ पहुंचाने का दबाव डाला जा रहा था।

सालभर में 1,585 सड़क दुर्घटनाओं में 646 लोगों की मौत हुई, जबकि 2,420 लोग घायल हुए। 31 अक्टूबर 2025 तक 71 हत्या, 74 हत्या के प्रयास, नशीले पदार्थों और मादक द्रव्यों से जुड़े 1,781 मामले, बलात्कार के 336 और छेड़छाड़ के 445 मामले दर्ज किए गए। वहीं, अपहरण के कुल 496 मामले सामने आए।

शिमला के संजौली मस्जिद को लेकर सांप्रदायिक माहौल पूरे साल उबाल पर रहा। हिंदू दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा ढांचे को गिराने की मांग को लेकर कई विरोध प्रदर्शन हुए। हालांकि, उच्च न्यायालय के आदेश पर मस्जिद की तीन मंजिलों को गिरा दिया गया।

शिमला के भट्टाकुफ्फुर के पास एक पांच मंजिला इमारत के ढहने से जनता में भारी आक्रोश फैल गया। इमारत के मालिक ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) द्वारा नियुक्त ठेकेदार पर पहाड़ियों की लापरवाही से कटाई करने का आरोप लगाया।

मामले में हिंसा भी हुई, जिसके बाद ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह के खिलाफ एनएचएआई अधिकारियों के साथ मारपीट का मामला दर्ज किया गया।

‘चिट्टा’ (सफेद नशे) का खतरा पूरे साल लोगों को डराता रहा। सरकार ने इसके खिलाफ अभियान तेज किया, क्योंकि यह नशा राज्य के युवाओं के एक बड़े हिस्से को अपनी चपेट में ले चुका है।

साल का अंत आईजीएमसी शिमला में एक मरीज के साथ हाथापाई के बाद एक चिकित्सक को बर्खास्त किए जाने के विरोध में कई वरिष्ठ रेजिडेंट चिकित्सक के सामूहिक अवकाश और हड़ताल की धमकी के साथ हुआ।

भाषा सुरभि खारी

खारी


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